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भारत की व्यापार नीति: 2025 में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम

साल 2025 भारत के लिए व्यापारिक समझौतों का महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। अमेरिका के दबाव के बावजूद, भारत ने कई देशों के साथ सफलतापूर्वक समझौते किए हैं। यह लेख भारत की व्यापार नीति, उसके आत्मनिर्भरता के प्रयासों और वैश्विक संबंधों को दर्शाता है। जानें कैसे भारत ने अपनी रणनीति को मजबूती दी है और किस प्रकार वह एक ही बाजार पर निर्भरता को कम कर रहा है।
 

भारत की व्यापारिक उपलब्धियां

साल 2025 व्यापारिक समझौतों का महत्वपूर्ण वर्ष रहा, जिसमें भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की। जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समान व्यापारिक समझौतों से मना किया और भारत सहित कई देशों पर टैरिफ का दबाव डाला, तब भारत ने व्यापार के लिए एक नया मार्ग चुना। भारत ने विभिन्न देशों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कई अन्य देशों के साथ बातचीत शुरू की। वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, सप्लाई चेन में व्यवधान और टैरिफ का उपयोग करते हुए, भारत की व्यापार नीति ने आत्मविश्वास से भरी हुई नजर आई।


भारत का दृढ़ रुख

अमेरिका ने व्यापारिक समझौतों को तेजी से लागू करने के लिए टैरिफ का उपयोग किया, लेकिन भारत ने न तो जल्दबाजी दिखाई और न ही अपनी नीतियों से समझौता किया। न्यूजीलैंड, ओमान और ब्रिटेन के साथ भारत ने तेजी से समझौते किए, जो दर्शाता है कि भारत अब प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि अपने दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रहा है।


भारत की मजबूती

2025 में अमेरिका ने व्यापारिक समझौतों को लेकर जल्दबाजी दिखाई और टैरिफ को दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया। भारत के निर्यात पर अधिक शुल्क लगाए गए और ऊर्जा व्यापार को लेकर पेनल्टी की धमकी दी गई। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि कोई भी समझौता देश की आर्थिक स्थिति और खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही होगा।


सम्मान के साथ समझौते

अमेरिका के विपरीत, न्यूजीलैंड, ओमान और ब्रिटेन के साथ बातचीत बिना किसी दबाव के हुई। ब्रिटेन के साथ समझौता संतुलित रहा, जिसमें भारतीय पेशेवरों और सेवा क्षेत्र के हितों का ध्यान रखा गया। न्यूजीलैंड के साथ समझौते में यह सुनिश्चित किया गया कि भारत की कृषि और डेयरी पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। ओमान के साथ डील ने खाड़ी क्षेत्र में भारत की सप्लाई चेन और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया।


विकल्पों की तैयारी

भारत अब किसी एक बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहता। यूरोपीय संघ, पेरू, चिली, GCC देशों और कनाडा के साथ बातचीत इसी दृष्टिकोण का हिस्सा है। इससे भारत पर किसी एक देश के दबाव का असर कम होता है और रणनीतिक स्वतंत्रता बढ़ती है।


भारत की व्यापारिक रणनीति

भारत अमेरिका से दूरी नहीं बना रहा है, बातचीत जारी है, लेकिन समीकरण बदल चुके हैं। अन्य देशों के साथ सफल डील से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका का बाजार हर कीमत पर आवश्यक नहीं है। भारत की 2025 की व्यापार नीति यह दर्शाती है कि सख्ती और लचीलापन एक साथ चल सकते हैं। जहां दबाव होगा, वहां भारत डटेगा, और जहां सम्मान होगा, वहां समझौता करेगा। यही भारत की व्यापारिक कला है।