भारत की तकनीकी प्रगति: 2025 में आत्मनिर्भरता और नवाचार का नया युग
भारत की तकनीकी यात्रा में नया मोड़
साल 2025 भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इस वर्ष देश ने आत्मविश्वास के साथ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। यह तकनीक के साथ भारत के संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष अन्वेषण, परमाणु ऊर्जा और आवश्यक खनिजों के क्षेत्र में भारत ने यह साबित किया है कि वह केवल वैश्विक तकनीक को अपनाने वाला नहीं है, बल्कि उसे आकार भी दे रहा है।
AI में भारत की नई पहल
इंडिया AI मिशन के तहत, भारत सरकार ने नैतिक और मानव-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी बनने के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने का वादा किया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AI समाज के उत्थान का एक साधन बने, विशेषकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में।
सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता
भारत की सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण को अपने तकनीकी मिशन का केंद्र बनाते हुए, मई 2025 में नोएडा और बेंगलुरु में 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन के लिए दो अत्याधुनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया। यह कदम भारत की सेमीकंडक्टर जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
क्रिटिकल मिनरल्स मिशन
मोदी सरकार ने जनवरी 2025 में 16,300 करोड़ रुपये के बजट के साथ नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन की शुरुआत की। यह मिशन भारत की रेयर अर्थ्स की मांग को पूरा करने और सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए है।
अंतरिक्ष विज्ञान में उपलब्धियां
ISRO ने 2025 में कई महत्वपूर्ण मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया। 30 जुलाई को NISAR का सफल लॉन्च भारत और अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक सहयोग का प्रतीक है। इसके अलावा, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने ISS पर 18 दिन बिताए, जिससे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जुड़ गया।
न्यूक्लियर ऊर्जा में सुधार
भारत के न्यूक्लियर सेक्टर में भी 2025 में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। यूनियन कैबिनेट ने एटॉमिक एनर्जी बिल, 2025 को मंजूरी दी, जो इस क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक नया कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
अनुसंधान और नवाचार में तेजी
मोदी सरकार ने विकसित भारत@2047 की यात्रा में अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता दी है। 1 लाख करोड़ रुपये का रिसर्च डेवलपमेंट और इनोवेशन (RDI) स्कीम भारत के वैज्ञानिक इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।