भारत की जारवा जनजाति: गोरी संतान पर मातम और काली संतान की प्रार्थना
जारवा जनजाति की अनोखी परंपरा
भारत में गोरी त्वचा को लेकर एक विशेष दीवानगी है। समाज में यह धारणा है कि यदि किसी का रंग गोरा है, तो वह अधिक आकर्षक और पसंद किया जाएगा। इस सोच के चलते लोग गोरा बनने के लिए विभिन्न उपाय अपनाते हैं। जब घर में बच्चा होता है, तो परिवार वाले भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें एक गोरी संतान मिले। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी जनजाति के बारे में बताएंगे, जहां गोरी संतान के जन्म पर जश्न नहीं, बल्कि शोक मनाया जाता है। यहाँ की माताएँ प्रार्थना करती हैं कि उनके घर में काली संतान का जन्म हो। यदि गलती से कोई गोरा बच्चा पैदा हो जाता है, तो उसे ऐसी सजा दी जाती है, जिसे सुनकर रूह कांप जाती है।
जारवा जनजाति का रहन-सहन
हम यहाँ जारवा जनजाति की बात कर रहे हैं, जो अंडमान के उत्तरी क्षेत्र में निवास करती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस जनजाति के केवल 400 सदस्य हैं। यह जनजाति बहुत पुरानी है, लेकिन बाहरी दुनिया से इसका संपर्क 1990 में हुआ। सरकार ने इन्हें संरक्षित करने के लिए इनके क्षेत्र में बाहरी लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित कर रखा है। इस जनजाति में एक अजीब परंपरा है, जिसके अनुसार गोरा बच्चा पैदा नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो उसे समाज से अलग-थलग महसूस करने के लिए मौत की सजा दी जाती है।
काली संतान की प्रार्थना
इसलिए, यहाँ की महिलाएँ काली संतान के जन्म के लिए प्रार्थना करती हैं। वे अपने होने वाले बच्चे का रंग काला बनाने के लिए जानवरों का खून भी पीती हैं। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह इनकी सच्चाई है। पिछले साल एक व्यक्ति ने पुलिस को इस बारे में जानकारी दी थी। यह जनजाति 55,000 साल पुरानी है और बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रखती। वे जंगलों में जंगली जीवन जीते हैं और शायद उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके क्षेत्र के बाहर क्या हो रहा है।
आपकी राय
आप इस जनजाति और उनकी परंपराओं के बारे में क्या सोचते हैं? हमें कमेंट सेक्शन में बताएं। साथ ही, अपने बच्चे को जैसा है, वैसे ही स्वीकार करें और गोरे या काले के भेद में न पड़ें।