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भारत की कृषि में बदलाव: पीएम मोदी का प्राकृतिक खेती पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तनों और प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में कृषि निर्यात में वृद्धि हुई है और भारत प्राकृतिक खेती के वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। तमिलनाडु में आयोजित एक सम्मेलन में, मोदी ने किसानों के साहस और उनके द्वारा अपनाए गए आधुनिक तरीकों की सराहना की। जानें इस सम्मेलन में उन्होंने क्या कहा और कृषि के भविष्य के बारे में उनकी क्या योजनाएं हैं।
 

प्रधानमंत्री मोदी का कृषि क्षेत्र में परिवर्तन का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत प्राकृतिक खेती के वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं और कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है। पीएम-किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त जारी करते हुए, उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत, 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि नौ करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित की गई है।


मोदी ने तमिलनाडु के किसानों को दक्षिण भारत के प्राकृतिक कृषि शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई किसानों से बातचीत की, जिनमें से कुछ ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग और पीएचडी की पढ़ाई की है, जबकि कुछ नासा छोड़कर खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह इस कार्यक्रम में नहीं आते, तो उन्हें बहुत कुछ सीखने का अवसर नहीं मिलता।


प्रधानमंत्री ने भविष्य में भारत की कृषि में और भी बड़े बदलावों की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि देश की जैव विविधता एक नया रूप ले रही है और युवा कृषि को एक आधुनिक अवसर के रूप में देख रहे हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हुए हैं और कृषि निर्यात में वृद्धि हुई है। सरकार ने किसानों के लिए सभी आवश्यक समर्थन प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं।