भारत की ऊर्जा नीति: हाइड्रोजन और बायोगैस की ओर बढ़ता कदम
भारत की ऊर्जा जरूरतें और आयात पर निर्भरता
भारत अपनी कच्चे तेल की 87% आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा करता है, जिससे हर साल लगभग ₹22 लाख करोड़ का विदेशी मुद्रा भंडार बाहर चला जाता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और ओहमियम इंटरनेशनल के बीच हुए समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह केवल ऊर्जा का मुद्दा नहीं है, बल्कि एक आर्थिक और रणनीतिक संकट भी है।
वैकल्पिक ईंधनों की दिशा में सरकार की नीति
इसलिए, सरकार अब वैकल्पिक ईंधनों को अपनी परिवहन नीति का केंद्र बना रही है। गडकरी ने कहा कि हमारी नीति स्पष्ट है: आयात का विकल्प, किफायती, प्रदूषण-रहित और स्वदेशी ईंधन। उनका लक्ष्य केवल प्रदूषण को कम करना नहीं है, बल्कि भारत को ऊर्जा आयातक से ऊर्जा निर्यातक बनाना है।
इथेनॉल से हाइड्रोजन तक: एक बहुआयामी योजना
भारत की ईंधन नीति एक ही विकल्प पर निर्भर नहीं है। यह एक बहुआयामी और व्यावहारिक योजना है जिसमें इथेनॉल मिश्रित ईंधन, बायोडीजल, बायोगैस (CBG) और हाइड्रोजन शामिल हैं। ये सभी विकल्प स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हैं और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। गडकरी का मानना है कि यह विविधता भविष्य की ओर एक मजबूत कदम है।
हाइड्रोजन ट्रकों का परीक्षण
भारत की सड़कों पर अब भविष्य की झलक देखने को मिल रही है। सरकार ने ₹500 करोड़ की लागत से नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन ट्रकों का परीक्षण शुरू किया है। इसमें टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, वोल्वो, एनटीपीसी, बीपीसीएल और रिलायंस जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन का लक्ष्य
गडकरी ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन पर है, जिसे नवीकरणीय ऊर्जा से बनाया जाएगा। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि इसकी लागत एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स और ऑटो कंपनियों से अपील की कि वे नगरपालिका कचरे, जैविक अपशिष्ट और बाँस जैसी चीजों से हाइड्रोजन बनाने के उपाय खोजें।
इथेनॉल और बायोगैस की भूमिका
भारत की वैकल्पिक ईंधन नीति केवल हाइड्रोजन तक सीमित नहीं है। गडकरी ने कहा कि मंत्रालय ने पूरे देश में 20% इथेनॉल मिश्रण को लागू करने की दिशा में तेजी दिखाई है। इसके अलावा, टोयोटा इनोवा हाई क्रॉस जैसी फ्लेक्स-फ्यूल हाइब्रिड कारें, जो इथेनॉल और इलेक्ट्रिक दोनों पर चल सकती हैं, अब परीक्षण चरण में हैं।
भारत की ऑटो उद्योग की संभावनाएं
भारत की ऑटोमोबाइल उद्योग की वैल्यू ₹22 लाख करोड़ है, जो आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी है। गडकरी का लक्ष्य है कि आने वाले पांच वर्षों में यह दुनिया में पहले स्थान पर पहुंचे। उनका विश्वास भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय विनिर्माण क्षमता पर आधारित है।