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भारत की ईरान-इजरायल संघर्ष पर प्रतिक्रिया: संवाद और कूटनीति का महत्व

भारत ने ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु संयंत्रों पर किए गए हमले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से समस्याओं के समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। पीएम मोदी ने भी योग के माध्यम से शांति की बात की। इस बीच, असदुद्दीन ओवैसी ने हमले की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

भारत की प्रतिक्रिया

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु संयंत्रों पर किए गए हमले पर भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि समस्याओं का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है।


प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कहा था कि जब दुनिया में अशांति और तनाव बढ़ रहा है, ऐसे समय में योग शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। भारत ने ईरान-इजरायल संघर्ष के प्रारंभ से ही संयमित रुख अपनाया है और डायलॉग तथा डिप्लोमेसी के माध्यम से गतिरोध को समाप्त करने की वकालत की है। दोनों देश भारत के मित्र राष्ट्र हैं।


ओवैसी की प्रतिक्रिया

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस हमले की निंदा की है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन बताया। ओवैसी ने कहा कि इस तरह के हमलों से ईरान को नहीं रोका जा सकता और अगले कुछ वर्षों में वह परमाणु हथियारों से संपन्न हो जाएगा।


उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने बिना अपनी संसद की मंजूरी के यह हमला किया है, जिससे संयुक्त राष्ट्र के संविधान का उल्लंघन हुआ है। ईरान अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का सदस्य है और उसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। ओवैसी ने चेतावनी दी कि इस हमले के बाद कई इस्लामिक देशों को लगेगा कि उनके पास भी परमाणु बम होना चाहिए।