भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी की उम्मीद, रिपोर्ट में महत्वपूर्ण संकेत
आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर: एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 26 की दूसरी छमाही में एक मजबूत पुनरुत्थान के लिए तैयार है। यह पुनरुत्थान कर कटौती, ब्याज दर में कमी और जीएसटी सुधारों के 'नियामक त्रिकोण' द्वारा समर्थित है।
एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी (MPFASL) द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जीडीपी वृद्धि वित्तीय वर्ष 27 तक 7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। यह सकारात्मक दृष्टिकोण अनुकूल मानसून और घटती महंगाई से भी समर्थित है, जो घरेलू खर्च में वृद्धि और उधारी की लागत को कम करेगा।
हालांकि, मौद्रिक नीति में ढील का प्रभाव अभी भी अधूरा है, क्योंकि बैंकों ने केवल 100-बेसिस-पॉइंट रेपो कट का 20-30 बेसिस पॉइंट अपने एमसीएलआर में शामिल किया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अचानक खाद्य या ईंधन की कीमतों में वृद्धि महंगाई में राहत को समाप्त कर सकती है, जबकि कर छूट से उत्पन्न वित्तीय दबावों का सावधानीपूर्वक संतुलन आवश्यक है। व्यापारिक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान भी चिंता का विषय बने हुए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) की महंगाई अक्टूबर 2024 में 6.2 प्रतिशत से घटकर मध्य 2025 तक लगभग 2.1 प्रतिशत हो गई, और खाद्य महंगाई जून-जुलाई में नकारात्मक हो गई।
प्रणालीगत तरलता 2025 की शुरुआत में थोड़े समय के लिए घाटे में थी, लेकिन अगस्त में यह 3.97 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जिससे आरबीआई के 100-बेसिस-पॉइंट रेपो दर कट का कुछ हिस्सा आवास, ऑटो और उपभोक्ता स्थायी ऋणों के लिए कम ब्याज दरों में परिवर्तित हुआ।
हाल के परिवर्तनों ने आरबीआई के 100-बेसिस-पॉइंट रेपो कट का आंशिक रूपांतरण संभव बनाया है, जिसमें बैंकों ने अब तक केवल 20 से 30 बेसिस पॉइंट का ही समायोजन किया है।
MPFASL ने अनुमान लगाया है कि निजी अंतिम उपभोग व्यय, जो भारत की जीडीपी का लगभग 61.4 प्रतिशत है, वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में "महत्वपूर्ण रूप से तेज" होने की उम्मीद है।
आरबीआई वर्तमान में वित्तीय वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाता है, लेकिन घटती महंगाई, प्रचुर तरलता और जीएसटी सुधारों के संयुक्त प्रभाव से वृद्धि 7 प्रतिशत के करीब पहुंचने की संभावना है।