भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में नया मानक: पहलगाम हमले के बाद की कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों के मारे जाने के बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी ज़ीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सबूतों की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक जांच का सहारा लिया, जिससे यह साबित हुआ कि बरामद हथियारों का उपयोग निर्दोष नागरिकों की हत्या में किया गया था। यह कार्रवाई न केवल सुरक्षा बलों के मनोबल को बढ़ाती है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति को भी दर्शाती है। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और कैसे यह भारत की सुरक्षा नीति में एक नया मानक स्थापित करता है।
Jul 30, 2025, 12:04 IST
पहलगाम में आतंकवादियों का सफाया
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया। इस घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सबूत पूरी तरह से पुख्ता किए जाएं। यह न केवल एक सैन्य सफलता थी, बल्कि भारत की आतंकवाद के प्रति ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति का एक मजबूत संदेश भी था।
सुरक्षा एजेंसियों की वैज्ञानिक जांच
पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड आतंकियों के खात्मे के बाद, भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने पारंपरिक पहचान के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच का सहारा लिया। यह कदम न केवल जांच की पारदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
विशेष विमान से भेजा गया कार्गो
ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद, सोमवार-मंगलवार की रात को श्रीनगर से चंडीगढ़ एक विशेष विमान रवाना किया गया। इस विमान में भेजा गया कार्गो, जो अब तक का सबसे छोटा था, लेकिन इसका महत्व अत्यधिक था। इसमें केवल तीन हथियार थे— एक एम-4 कार्बाइन और दो एके-47 राइफलें, जो मारे गए आतंकियों से बरामद हुई थीं।
बैलिस्टिक परीक्षण की प्रक्रिया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया कि केवल स्थानीय मददगारों द्वारा की गई पहचान पर निर्भर नहीं रहना है। इसके लिए हथियारों का चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) में बैलिस्टिक परीक्षण करवाया गया। इसका उद्देश्य यह साबित करना था कि बरामद हथियारों से ही पहलगाम हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी।
फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मेहनत
CFSL के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने पूरी रात जागकर परीक्षण किए। हथियारों से टेस्ट फायरिंग की गई और नए खाली कारतूस तैयार कर उनकी तुलना हमले के स्थल से बरामद कारतूसों से की गई। साथ ही राइफलों की नली से निकलने वाली धारियों और निशानों का मिलान किया गया। मंगलवार सुबह 4:46 बजे, छह फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने वीडियो कॉल पर गृह मंत्री अमित शाह को पुष्टि दी कि बरामद हथियारों और पहलगाम हमले के कारतूसों के निशान पूरी तरह मेल खाते हैं।
नई रणनीति का संकेत
यह जांच आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति में एक नया मानक स्थापित करती है। पाकिस्तान के समर्थन वाले नैरेटिव को तोड़ने में वैज्ञानिक प्रमाण अत्यंत कारगर हैं। अदालतों में यह ठोस सबूत आतंकियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई को मजबूत करेगा। इससे सुरक्षा बलों का मनोबल भी बढ़ेगा, क्योंकि यह स्पष्ट संदेश देता है कि हर हमले का न केवल जवाब दिया जाएगा, बल्कि अपराधियों के खिलाफ सबूत भी अटल होंगे।
मोदी सरकार की प्रतिबद्धता
ऑपरेशन महादेव के बाद किया गया यह बैलिस्टिक परीक्षण दर्शाता है कि मोदी सरकार न केवल आतंकवादियों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि हर कदम पर वैज्ञानिक साक्ष्यों और पारदर्शिता को प्राथमिकता देती है। श्रीनगर से चंडीगढ़ भेजे गए तीन हथियारों वाला यह छोटा-सा कार्गो पहलगाम हमले की जांच में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। यह रणनीति भारत की नई नीति को रेखांकित करती है— तेज, सटीक और पुख्ता कार्रवाई, जिससे आतंकियों को न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि अदालत और वैश्विक मंचों पर भी कोई जगह न मिले।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर अमित शाह की प्राथमिकता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पूरी रात एजेंसियों के संपर्क में रहकर सबूतों की पुष्टि की। कुछ घंटों बाद ही मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया, जो दर्शाता है कि उनके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। यह घटनाक्रम भारत के बदलते सुरक्षा प्रतिमान को भी दर्शाता है। पहले जहां आतंकवादी घटनाओं के बाद लंबे समय तक जांच और कूटनीतिक बयानबाजी चलती रहती थी, वहीं अब भारत तेज, निर्णायक और ठोस कार्रवाई कर रहा है।