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भारत का पहला पेट्रोल पंप: एक ऐतिहासिक यात्रा

1928 में स्थापित भारत के पहले पेट्रोल पंप ने मोटर वाहनों के युग की शुरुआत की। यह पंप न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसके आसपास की कहानियाँ भी इसे खास बनाती हैं। जानें इस पंप की विशेषताएँ, शुरुआती चुनौतियाँ और क्या यह आज भी मौजूद है।
 

भारत में मोटर कारों का आगमन

20वीं सदी के प्रारंभ में भारत में मोटर कारों का उपयोग शुरू हुआ। यह वाहन राजाओं, नवाबों, अंग्रेज अधिकारियों और व्यापारियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा था। इस दौरान पेट्रोल की उपलब्धता और वितरण एक बड़ी चुनौती बन गई थी। भारत का पहला पेट्रोल पंप 1928 में मुंबई के हुगेस रोड पर बर्मा शैल कंपनी द्वारा स्थापित किया गया।


पहला पेट्रोल पंप: विशेषताएँ

इस पंप की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें केवल दो हैंड-ऑपरेटेड डिपेंसर थे। उस समय, रोजाना की खपत 200-300 गैलन (लगभग 900-1200 लीटर) तक सीमित थी, क्योंकि शहर में कारों की संख्या कम थी। पेट्रोल की आपूर्ति विदेशों से जहाजों के माध्यम से मुंबई पोर्ट पर की जाती थी।


पेट्रोल की कीमत और आपूर्ति

उस समय भारत में कोई रिफाइनरी नहीं थी, और पेट्रोल बर्मा, ईरान और वेस्ट एशिया से आयात किया जाता था। कीमतें लगभग 1 आना (6 पैसे) से 2 आना (12 पैसे) प्रति लीटर थीं, जो उस समय महंगी मानी जाती थीं।


मुंबई में वाहनों की संख्या

1928 में मुंबई में लगभग 6000-7000 मोटर वाहन थे, जबकि पूरे भारत में कुल 15,000-20,000 कारें थीं। मुंबई में टैक्सी सेवाएं, विशेषकर फिएट और डॉज की, प्रचलित थीं।


प्रारंभिक चुनौतियाँ

  • भारतीय बाजार में कारों की कमी के कारण निवेशकों को पेट्रोल पंप की सफलता पर संदेह था।
  • विदेश से पेट्रोल की समय पर आपूर्ति में कठिनाई होती थी।
  • बरसात में कंटेनर गीले होकर जंग लग जाते थे।
  • उस समय सुरक्षा मानदंड विकसित नहीं हुए थे।
  • सरकारी नियमों की कमी थी।


पेट्रोल पंप के आसपास की कहानियाँ

मुंबई में एक पारसी टैक्सी चालक को समाज में बहुत सम्मान मिलता था। उनकी टैक्सियां अक्सर रात भर भरोसेमंद सवारी साबित होती थीं। नवाब जौनगढ़ की कार में पेट्रोल भरते समय पूरा इलाका देखने आता था।


क्या पहला पेट्रोल पंप अब भी मौजूद है?

1928 का पहला पेट्रोल पंप अब अस्तित्व में नहीं है। इसे बाद में मुंबई के अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया।