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भारत का नया टैक्स सिस्टम: 2025 में लागू होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव

भारत ने 2025 में अपने टैक्स सिस्टम में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें जीएसटी दरों में कमी और नए इनकम टैक्स कानून का लागू होना शामिल है। नए कानून के तहत, 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसके अलावा, कस्टम ड्यूटी को सरल बनाने की योजना भी है। जानें इन बदलावों का क्या असर होगा और सरकार की आगे की योजनाएं क्या हैं।
 

भारत में टैक्स प्रणाली में परिवर्तन

टैक्स सिस्टम

भारत ने 2025 में अपने टैक्स सिस्टम में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें जीएसटी दरों में कमी और इनकम टैक्स की छूट सीमा में वृद्धि शामिल है। आगामी बजट में कस्टम ड्यूटी को सरल और तार्किक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नया और सरल इनकम टैक्स एक्ट, 2025, 1 अप्रैल से लागू होगा, जो 1961 के पुराने कानून की जगह लेगा। इसके साथ ही, दो नए कानून भी लाए जाएंगे: एक सिगरेट पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाने के लिए और दूसरा पान मसाला पर जीएसटी के अलावा अलग से सेस लगाने के लिए। इन कानूनों की लागू होने की तारीख सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। 2025 में किए गए टैक्स सुधारों का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है, खासकर जब टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी।

जीएसटी में बदलाव

22 सितंबर से लगभग 375 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में कमी की गई, जिससे रोजमर्रा की चीजें सस्ती हुईं और उलटे ड्यूटी ढांचे से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया गया। सरकार ने चार जीएसटी स्लैब को घटाकर दो मुख्य स्लैब 5% और 18% कर दिया, जबकि शराब और तंबाकू जैसे उत्पादों पर 40% टैक्स रखा गया। इस बदलाव का उद्देश्य जीएसटी को सरल और विवाद-मुक्त बनाना है।

राजस्व संग्रहण की स्थिति

अप्रैल में जीएसटी संग्रहण 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि चालू वित्त वर्ष में औसत संग्रहण 1.9 लाख करोड़ रुपये रहा। हालांकि, दरों में कमी के बाद राजस्व की वृद्धि धीमी हुई है। नवंबर में जीएसटी संग्रहण घटकर 1.70 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो साल का सबसे कम स्तर था।

इनकम टैक्स में राहत

सरकार ने मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए इनकम टैक्स की छूट सीमा बढ़ाई है। नए टैक्स सिस्टम के तहत, सालाना 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस प्रणाली में कम टैक्स दरें हैं, लेकिन छूट और कटौतियों का लाभ नहीं मिलता।

नई टैक्स दरें

  • 4 से 8 लाख रुपये: 5%
  • 8 से 12 लाख रुपये: 10%
  • 12 से 16 लाख रुपये: 15%
  • 16 से 20 लाख रुपये: 20%
  • 20 से 24 लाख रुपये: 25%
  • 24 लाख से ऊपर: 30%

हालांकि, टैक्स कटौती के कारण नॉन-कॉरपोरेट टैक्स संग्रहण की वृद्धि धीमी रही है। इस दौरान यह 6.37% बढ़कर 8.47 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि कॉरपोरेट टैक्स 10.54% बढ़कर 8.17 लाख करोड़ रुपये हो गया।

रिफंड और भविष्य की योजनाएं

इस वर्ष इनकम टैक्स रिफंड में भी कमी आई है, क्योंकि विभाग ने बड़े रिफंड मामलों की अधिक जांच की। रिफंड पिछले वर्ष की तुलना में 14% घटकर लगभग 2.97 लाख करोड़ रुपये रहा। अब जब जीएसटी और इनकम टैक्स में बड़े सुधार हो चुके हैं, तो सरकार का ध्यान कस्टम ड्यूटी को सरल बनाने पर है। वित्त मंत्री ने कहा है कि कस्टम्स को सरल बनाना सरकार का अगला बड़ा लक्ष्य है।

विशेषज्ञों की राय

डेलॉयट इंडिया के महेश जयसिंह का कहना है कि बदलते व्यापार पैटर्न और बढ़ती लागत के कारण कस्टम्स सुधार की आवश्यकता है। वहीं, नांगिया ग्लोबल के राहुल शेखर का मानना है कि कस्टम्स में पूरी तरह डिजिटल प्रक्रिया और तेज क्लियरेंस से व्यापार में विश्वास बढ़ेगा।