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भारत का करंट अकाउंट सरप्लस: आर्थिक वृद्धि के संकेत

भारत ने जनवरी-मार्च तिमाही में 13.5 अरब डॉलर का करंट अकाउंट सरप्लस दर्ज किया है, जो जीडीपी का 1.3 प्रतिशत है। यह वृद्धि भारत के निर्यात में इजाफा और आयात में कमी का संकेत देती है। इस सरप्लस ने वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, जिससे चीन में चिंता बढ़ गई है। जानिए इस सरप्लस के पीछे के आंकड़े और विशेषज्ञों की राय।
 

भारत का करंट अकाउंट सरप्लस


जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा की थी, तब उन्होंने भारत को 'टैरिफ किंग' कहा था, जिसका उद्देश्य भारतीय निर्यात को नुकसान पहुंचाना था। लेकिन अब ट्रंप के सभी प्रयास भारत के सामने विफल होते नजर आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण भारत का करंट अकाउंट सरप्लस है, जिसने न्यूयॉर्क से लेकर शंघाई तक सबको चौंका दिया है। यह सरप्लस इस बात का संकेत है कि भारत के निर्यात में वृद्धि हुई है और आयात में कमी आई है।


इस स्थिति ने पड़ोसी देश चीन में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि भारत अब वैश्विक स्तर पर अपने निर्यात को बढ़ा रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपने उत्पादन संयंत्र स्थापित कर रही हैं। जो चाल कभी चीन चला रहा था, अब उसी रणनीति से भारत 'ड्रैगन' को चुनौती दे रहा है। आइए जानते हैं भारत के करंट अकाउंट सरप्लस के आंकड़े क्या हैं।


भारत ने जनवरी-मार्च तिमाही में 13.5 अरब डॉलर का करंट अकाउंट सरप्लस दर्ज किया, जो जीडीपी का 1.3 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 4.6 अरब डॉलर था, जिससे स्पष्ट है कि एक वर्ष में इसमें तीन गुना वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की मार्च तिमाही में करंट अकाउंट में वृद्धि का मुख्य कारण सेवाओं के निर्यात में वृद्धि और विदेश से भेजे गए धन में बढ़ोतरी रही। हालांकि, सालाना आधार पर, देश का करंट अकाउंट 2024-25 के दौरान 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) घाटे में रहा।


आरबीआई की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2024-25 की चौथी तिमाही में भारत का करंट अकाउंट 13.5 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) का सरप्लस दर्शाता है, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 4.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.5 प्रतिशत) था। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 11.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) का घाटा था।


पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वस्तु व्यापार घाटा 59.5 अरब डॉलर रहा, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 52 अरब डॉलर था। हालांकि, वस्तु व्यापार घाटा 2024-25 की तीसरी तिमाही के 79.3 अरब डॉलर के मुकाबले कम रहा। शुद्ध सेवा प्राप्तियां बढ़कर 2024-25 की चौथी तिमाही में 53.3 अरब डॉलर हो गईं, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 42.7 अरब डॉलर थीं।


व्यक्तिगत अंतरण प्राप्तियां 2024-25 की चौथी तिमाही में बढ़कर 33.9 अरब डॉलर हो गईं, जो 2023-24 की चौथी तिमाही में 31.3 अरब डॉलर थीं। आरबीआई ने बताया कि प्राइमरी इनकम अकाउंट पर नेट एक्सपेंडिचर चौथी तिमाही में 11.9 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 14.8 अरब डॉलर था।


वित्तीय खाते में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने आलोच्य अवधि में 40 करोड़ डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में 2.3 अरब डॉलर का निवेश आया था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) ने मार्च तिमाही में 5.9 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 11.4 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ था।


समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.8 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में 30.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में भुगतान संतुलन पर कहा कि इस अवधि में भारत का चालू खाता घाटा 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 26 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.7 प्रतिशत) से कम है।


पिछले वित्त वर्ष में एफडीआई के तहत एक अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह आया, जो 2023-24 के दौरान आए 10.2 अरब डॉलर एफडीआई से कम है। वित्त वर्ष 2024-25 में एफपीआई ने 3.6 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जो एक साल पहले के 44.1 अरब डॉलर से कम है।


रेटिंग एजेंसी इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि करंट अकाउंट चौथी तिमाही में अपेक्षा के अनुरूप सरप्लस में रहा, लेकिन प्राइमरी इनकम निकासी में गिरावट के बीच इसका आकार उम्मीद से अधिक रहा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में चालू खाता वस्तु व्यापार घाटे में वृद्धि और सेवा व्यापार अधिशेष में कमी के अनुमानों को देखते हुए घाटे की स्थिति में आ सकता है।