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भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने पर सहमति

भारत और रूस के विदेश मंत्रियों ने मास्को में व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सहमति जताई है। इस बैठक में ऊर्जा सहयोग, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों और द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने पर चर्चा की गई। जयशंकर ने भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदमों का उल्लेख किया। यह यात्रा अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बीच हुई है, जो भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का कारण बनी है।
 

भारत-रूस संबंधों में नई दिशा

गुरुवार को मास्को में आयोजित एक बैठक में, भारत और रूस के विदेश मंत्रियों ने अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। इस दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ के बावजूद, दोनों देशों के बीच संबंधों में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने के संकेत नहीं मिले। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और रूस के संबंधों की महत्ता पर प्रकाश डाला।


व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर जोर

दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित तरीके से बढ़ाने और ऊर्जा सहयोग को बनाए रखने का संकल्प लिया। जयशंकर ने गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक अड़चनों को तेजी से दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और टैरिफ नीतियों में बढ़ती दूरी के बीच लिया गया।


आतंकवाद पर संयुक्त प्रयास

जयशंकर और लावरोव ने आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ एकजुटता से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद से अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत के अधिकार का भी उल्लेख किया।


व्यापारिक संतुलन की दिशा में कदम

जयशंकर ने कहा कि भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें फार्मास्यूटिकल, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय कुशल श्रमिक रूस की श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।


वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

बैठक में, दोनों पक्षों ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान में स्थिति पर भी विचार किया। जयशंकर ने कहा कि भारत मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति को प्राथमिकता देता है।


जयशंकर की यात्रा का महत्व

जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ है। विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।