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भारत और रूस के बीच नेफ्था व्यापार में वृद्धि

भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार में नेफ्था की मांग तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत और ताइवान अब रूस से नेफ्था खरीदने वाले प्रमुख देश बन गए हैं। नेफ्था का उपयोग पेट्रोकेमिकल उद्योग में कच्चे माल के रूप में होता है, जिससे प्लास्टिक और अन्य रसायनों का निर्माण होता है। भारत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए रूस से नेफ्था की खरीद बढ़ा दी है, जबकि UAE में इसकी खरीद में कमी आई है। जानें इस व्यापार के पीछे की रणनीति और आंकड़े।
 

भारत और रूस के ऊर्जा व्यापार में नेफ्था की भूमिका

भारत और रूस के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में अब केवल सस्ता कच्चा तेल ही नहीं, बल्कि नेफ्था भी एक महत्वपूर्ण उत्पाद बन चुका है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में भारत और ताइवान रूस से नेफ्था खरीदने वाले प्रमुख देशों में शामिल हो गए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि यह ईंधन न केवल सस्ता है, बल्कि उद्योगों के लिए अत्यंत आवश्यक भी है.


नेफ्था की बढ़ती मांग

नेफ्था एक हल्का हाइड्रोकार्बन है, जिसका उपयोग पेट्रोकेमिकल उद्योग में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। इससे ओलेफिन और एरोमैटिक्स जैसे यौगिक बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, रेजिन और अन्य महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में होता है। फरवरी 2023 में यूरोपीय संघ ने रूस से आने वाले सभी तेल उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद रूस ने अपने निर्यात को एशिया और मध्य पूर्व की ओर मोड़ दिया। भारत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए नेफ्था की खरीद बढ़ा दी.


भारत में नेफ्था की मात्रा

रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में भारत को रूस से लगभग 2.5 लाख टन नेफ्था प्राप्त हुआ। हालांकि, यह आंकड़ा मई के मुकाबले 5% कम है, लेकिन यदि हम पूरे वर्ष का डेटा देखें, तो जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने रूस से 14 लाख टन से अधिक नेफ्था मंगवाया है। यह माल मुंद्रा, हजीरा और सिक्का जैसे पश्चिमी बंदरगाहों पर उतारा गया। पहले भारत ने यह नेफ्था UAE से खरीदा था, लेकिन अब रूस से कम कीमत पर मिलने के कारण सप्लायर बदल दिया है.


अन्य देशों में बढ़ती मांग

भारत के अलावा, ताइवान ने भी जून में रूस से बड़ी मात्रा में नेफ्था मंगाया। आंकड़ों के अनुसार, ताइवान को 2.34 लाख टन नेफ्था प्राप्त हुआ, जो मई के मुकाबले दोगुना है। जनवरी से जून 2025 के बीच, ताइवान ने रूस से 12.7 लाख टन नेफ्था खरीदा। इसके अतिरिक्त, सिंगापुर, मलेशिया, तुर्की और चीन भी जून में रूसी नेफ्था के प्रमुख आयातक रहे.


UAE में खरीद में कमी

शिपिंग डेटा के अनुसार, जून में UAE के फुजैराह पोर्ट पर रूस से कोई नेफ्था नहीं पहुंचा, जबकि मई में वहां 80,000 टन भेजा गया था। इसका कारण यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा किए जा रहे हमलों के चलते लाल सागर का असुरक्षित होना है। इस कारण व्यापारी अब दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप वाले रूट से रूसी तेल एशिया की ओर भेज रहे हैं. जून में ऐसे रास्ते से लगभग 3 लाख टन रूसी नेफ्था एशिया की ओर भेजा गया.


नेफ्था खरीद का रणनीतिक महत्व

भारत के लिए रूस से नेफ्था खरीदना केवल एक व्यावसायिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक कदम भी है। यह न केवल पेट्रोकेमिकल उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल प्रदान करता है, बल्कि वैश्विक तेल उत्पादों की कीमतों में अस्थिरता के बीच एक सस्ते और स्थायी सप्लाई का स्रोत भी बन गया है.