भारत और अमेरिका के संबंधों में उतार-चढ़ाव: एक नई दिशा की ओर
भारत और अमेरिका के संबंधों का इतिहास
भारत की स्वतंत्रता के बाद से अमेरिका के साथ संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। कभी ये संबंध गर्म रहे हैं, तो कभी ठंडे। यह स्थिति पूर्व सोवियत संघ के साथ संबंधों से बिल्कुल अलग है, जहां संबंधों में स्थिरता बनी रही, भले ही सोवियत संघ कई देशों में बंट गया।
अमेरिका के साथ प्रारंभिक संबंध
शुरुआत में, नई दिल्ली और मास्को के बीच की नजदीकी के कारण अमेरिका के साथ संबंध ठंडे रहे। अमेरिका ने विकासशील देशों को उन्नत तकनीकों में मदद करने में हिचकिचाहट दिखाई। स्वतंत्रता के कई दशकों तक, अमेरिका का पाकिस्तान के साथ संबंध भारत की तुलना में अधिक निकटता में रहा, भले ही पाकिस्तान का शासन लोकतंत्र से सैन्य तानाशाही में बदलता रहा।
चीन के उदय का प्रभाव
हाल के वर्षों में, चीन के वैश्विक मंच पर उभरने के कारण भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में नजदीकी आई है। दोनों देशों ने चीन की बढ़ती शक्ति को लेकर चिंता व्यक्त की है।
डोनाल्ड ट्रंप का प्रभाव
अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक रैली में भाग लिया था। लेकिन हाल के समय में, ट्रंप के व्यापार घाटे पर ध्यान केंद्रित करने के कारण संबंध फिर से ठंडे पड़ गए हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने अमेरिका के व्यापारिक दबावों का सामना करते हुए व्यापार वार्ताओं को रद्द कर दिया और रूस और चीन के साथ संबंधों को मजबूत किया। शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत ने ट्रंप के व्यापारिक सपनों पर पानी फेर दिया।
भविष्य की संभावनाएँ
इस प्रकार, भारत और अमेरिका के संबंधों में एक और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, और संभवतः ये संबंध फिर से सुधर सकते हैं।