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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता: ऊर्जा आयात पर चर्चा

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता इस सप्ताह होने जा रही है, जिसमें ऊर्जा आयात और टैरिफ के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। भारत ने अमेरिका की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिकी ऊर्जा और गैस आयात बढ़ाने का आश्वासन दिया है। इस वार्ता का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को दोगुना करना है। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और क्या हो सकते हैं इसके परिणाम।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का आगाज़

डोनाल्ड ट्रंप और मोदी की मुलाकात

भारत और अमेरिका इस सप्ताह व्यापार वार्ता करने जा रहे हैं। इस संदर्भ में, भारत ने अमेरिका की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिकी ऊर्जा और गैस आयात बढ़ाने का आश्वासन दिया है। अगस्त में, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसके कारण वार्ता कुछ समय के लिए स्थगित हो गई थी। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समर्थन दे रहा है। हालांकि, सितंबर में ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बातचीत की, जिससे वार्ता फिर से शुरू हुई और अब एक समझौते की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका से ऊर्जा और गैस की खरीद बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह कदम अमेरिकी राजदूत-नामित सर्जियो गोर की मोदी और वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के साथ हुई बैठकों के बाद उठाया गया है। गोर ने रविवार को ‘एक्स’ पर लिखा कि भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अग्रवाल से मुलाकात की और अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों पर चर्चा की, जिसमें अमेरिका में निवेश बढ़ाने का मुद्दा शामिल था। सरकार ने बताया कि पिछले महीने भारतीय अधिकारियों ने वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ सकारात्मक बातचीत की और दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द व्यापार समझौता फाइनल करने पर सहमति जताई।

टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से भारत के टेक्सटाइल, लेदर, जेम्स-ज्वैलरी और खाद्य उत्पादों के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में भारत का अमेरिका को निर्यात 8.01 बिलियन डॉलर था, जो अगस्त में घटकर 6.86 बिलियन डॉलर हो गया, और सितंबर में और गिरावट आई। फरवरी 2025 में शुरू हुई बातचीत का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है।

अब तक पांच राउंड की वार्ता हो चुकी है, और छठा राउंड, जो अगस्त में रुका था, अब अगले महीने समझौते के पहले चरण की ओर बढ़ सकता है, जैसा कि ट्रंप और मोदी ने तय किया है। भारत चाहता है कि अमेरिकी कंपनियां उसके नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अधिक निवेश करें। अधिकारियों ने कहा कि हमारे ऊर्जा क्षेत्र में निवेश हमारे संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत अमेरिका से अधिक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) खरीदने के लिए भी तैयार है। ट्रंप प्रशासन के अमेरिका में भारतीय निवेश बढ़ाने के आह्वान पर सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली इसका विरोध नहीं कर रही है और भारतीय कंपनियों के विदेशी निवेश को सकारात्मक रूप से देख रही है, जैसे कि चीन करता है।