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भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा, 10 साल का करार

भारत और अमेरिका ने अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण 10 साल की योजना पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता कुआलालंपुर में रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान हुआ और इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाना है। इस समझौते के तहत, भारत और अमेरिका ने रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग पर चर्चा की है। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीति और इसके क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव के बारे में।
 

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता

डिफेंस डील

भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को कुआलालंपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बीच हुई बैठक में दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए 10 साल की योजना पर हस्ताक्षर किए। यह महत्वपूर्ण हस्ताक्षर आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान हुआ। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने, संबंधों को बेहतर बनाने और रूस के साथ पुराने संबंधों को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल के दिनों में दोनों देशों ने व्यापार वार्ता को फिर से शुरू किया है।

पहले, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिससे वार्ता में रुकावट आई थी। इसके बाद, उन्होंने रूस से तेल खरीदने पर भी भारत को 25% जुर्माना लगाया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह योजना 2025 से अगले 10 वर्षों में साझेदारी को और मजबूत करने का एक नया चरण शुरू करेगी। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को गहरा करना और स्पष्ट दिशा प्रदान करना है। दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग में निरंतर प्रगति की सराहना की और हर क्षेत्र में लाभकारी साझेदारी को और मजबूत करने का वादा किया।

मंत्रालय के बयान में कहा गया कि उन्होंने मौजूदा रक्षा मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा की और रक्षा उद्योग तथा तकनीकी सहयोग पर विचार किया। वैश्विक अनिश्चितता के बढ़ते माहौल में, दोनों ने मिलकर समस्याओं के समाधान पर सहमति जताई। राजनाथ सिंह ने X पर लिखा कि अमेरिकी मंत्री के साथ एक सकारात्मक बैठक हुई और हमने 10 साल की अमेरिका-भारत प्रमुख रक्षा साझेदारी योजना पर हस्ताक्षर किए।

समझौते के महत्व

यह समझौता हमारी पहले से मजबूत साझेदारी में एक नया अध्याय खोलेगा। यह योजना भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को एक नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने आगे कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बढ़ते रणनीतिक सामंजस्य का प्रतीक है और साझेदारी के नए 10 वर्षों की शुरुआत करेगा। रक्षा हमारे संबंधों का मुख्य आधार बना रहेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए हमारी साझेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत और अमेरिका दोनों ही इस क्षेत्र में नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करते हैं। चीन इस क्षेत्र में सैन्य ठिकाने बनाकर और समुद्री दावों के लिए दबाव डालकर अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

पीट हेगसेथ ने X पर लिखा कि मैंने राजनाथ सिंह के साथ 10 साल की रक्षा योजना पर हस्ताक्षर के लिए मुलाकात की। यह हमारी रक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और शक्ति का आधार है। हम समन्वय, सूचना साझा करने और तकनीकी सहयोग को बढ़ा रहे हैं। हमारे रक्षा संबंध पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे। अगस्त 2024 में, दोनों देशों ने आपूर्ति सुरक्षा समझौता (SOSA) पर एक गैर-बाध्यकारी समझौता किया। यह समझौता भारत और अमेरिका को जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की रक्षा कंपनियों से सामान और सेवाएं प्राथमिकता से लेने की अनुमति देता है। पिछले वर्ष, दोनों ने संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी समझौता किया था, जिसका उद्देश्य आपसी हित के मामलों में सहयोग और समझ को बढ़ाना है।

16 सितंबर को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से बातचीत की, जिसके बाद व्यापार समझौते की चर्चा फिर से शुरू हुई। इसके बाद, ट्रंप के करीबी सहयोगी और मनोनीत अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की हालिया अमेरिका यात्राओं में भी व्यापार पर चर्चा हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह दक्षिण कोरिया में संकेत दिया कि भारत के साथ व्यापार समझौता जल्द ही होने वाला है.