भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा: सर्जियो गोर की नियुक्ति
विदेश मंत्री की मुलाकात
आज विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोर से नई दिल्ली में मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी और उसकी वैश्विक प्रासंगिकता पर चर्चा की गई। सर्जियो गोर, जो अमेरिकी सीनेट से अपनी नियुक्ति की स्वीकृति के बाद भारत की छह दिवसीय यात्रा पर हैं, के साथ अमेरिकी उप सचिव (प्रबंधन और संसाधन) माइकल जे. रिगस भी उपस्थित थे.
गोर की यात्रा का महत्व
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी गोर से मुलाकात की, जिसमें दोनों देशों के Comprehensive Global Strategic Partnership पर विचार-विमर्श हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल के अनुसार, यह यात्रा एक परिचयात्मक दौरा है। गोर औपचारिक रूप से भारत में अपने कार्यभार को बाद में संभालेंगे। उल्लेखनीय है कि गोर ने 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जयशंकर से पहले ही मुलाकात की थी.
व्यापार तनाव और संवाद
गोर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हाल के व्यापार तनावों के बाद दोनों देशों ने बातचीत फिर से शुरू की है। अमेरिका ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगाया है और रूस से भारत के कच्चे तेल आयात पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। इसके बावजूद, मोदी और ट्रंप के बीच हाल की फोन वार्ताओं ने माहौल को सकारात्मक दिशा दी है.
सर्जियो गोर की भूमिका
सर्जियो गोर, जो ट्रंप के करीबी सहयोगी और व्हाइट हाउस के व्यक्तिगत निदेशक रह चुके हैं, को अगस्त में भारत के लिए अमेरिकी राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए विशेष दूत नामित किया गया था. यह नियुक्ति केवल एक कूटनीतिक कदम नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी विदेश नीति का एक स्पष्ट राजनीतिक संकेत भी है.
राजनीतिक समीकरणों का प्रभाव
इस नियुक्ति को तीन दृष्टिकोणों से समझा जा सकता है। पहला, यह ट्रंप की "व्यक्तिकेंद्रित विदेश नीति" का विस्तार है। ट्रंप ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर संचालित किया है। सर्जियो गोर की नियुक्ति उसी निजी संबंध को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, ताकि वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच संवाद औपचारिकता से आगे बढ़ सके.
भारत-अमेरिका संबंधों की गहराई
दूसरा, यह नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ती सामरिक गहराई का प्रमाण है। ट्रंप प्रशासन ने Quad समूह को सक्रिय किया और भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी साझा करने की सूची में ऊँचा स्थान दिया है. गोर का बयान कि "भारत की दिशा क्षेत्र और उससे परे की दिशा तय करेगी" यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप की टीम भारत को केवल एक साझेदार नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति-संतुलन के स्तंभ के रूप में देखती है.
चुनौतियाँ और अवसर
तीसरा, यह निर्णय ट्रंप की चुनावी रणनीति से भी जुड़ा है। भारत-अमेरिका संबंधों में सकारात्मक रुझान अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। गोर जैसे प्रचारक और नीतिगत रूप से वफादार व्यक्ति ट्रंप के लिए ‘दोहरा लाभ’ सुनिश्चित कर सकते हैं.
राजनयिक संतुलन की चुनौती
हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या गोर की राजनीतिक निष्ठा उनके राजनयिक संतुलन पर हावी होगी। भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक अभिसरण है, लेकिन व्यापार, डेटा सुरक्षा और रूस-नीति जैसे विषयों पर मतभेद बने हुए हैं.
नए अध्याय की शुरुआत
सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों का एक नया अध्याय खोलती है, जिसमें कूटनीति की जगह राजनीतिक समीकरणों की गर्माहट अधिक दिखेगी. भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह गर्माहट उसके दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों को न जलाए, बल्कि उन्हें और अधिक प्रकाशमान बनाए.