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भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में नई दिशा: राजनाथ सिंह का सख्त रुख

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एससीओ सम्मेलन में और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भारत की नई रणनीतिक सोच का परिचय दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया और भारत की रक्षा नीतियों में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर दिया। इस वार्ता में तकनीकी साझेदारी, साइबर सुरक्षा और आधुनिक युद्ध की चुनौतियों पर चर्चा की गई। राजनाथ सिंह ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो वैश्विक सुरक्षा में एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।
 

भारत की नई रणनीतिक सोच

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में एक स्पष्ट और दृढ़ रुख प्रस्तुत किया। यह भारत की बदलती रणनीतिक सोच और आत्मविश्वास को दर्शाता है, जो वैश्विक मुद्दों पर एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ उभर रहा है। अब भारत केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक विमर्शों में एक नई दिशा देने वाला राष्ट्र बनता जा रहा है।


आतंकवाद पर स्पष्ट संदेश

एससीओ सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद को किसी भी बहाने से सही नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उन्हें वैश्विक समुदाय में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया, लेकिन इस प्रकार की नैतिक दृष्टिकोण वाली भाषा ने भारत की कूटनीतिक स्थिति को मजबूत किया।


द्विपक्षीय वार्ता में आत्मसम्मान का संदेश

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के साथ बातचीत में राजनाथ सिंह ने "सहयोग के साथ आत्मसम्मान" का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का खरीदार नहीं, बल्कि साझेदार बनना चाहता है। तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त उत्पादन और समान स्तर पर निर्णय लेने की प्राथमिकता भारत के एजेंडे में शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, विशेषकर चीन के आक्रामक सैन्य विस्तार के संदर्भ में।


भारत के तीन महत्वपूर्ण संदेश

राजनाथ सिंह ने एक सप्ताह के भीतर तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं: पहला, भारत आतंकवाद पर समझौता नहीं करेगा; दूसरा, रक्षा साझेदारी में तकनीकी आत्मनिर्भरता और सम्मान की मांग अब प्राथमिकता है; और तीसरा, भारत वैश्विक शक्ति संतुलन का समर्थक है, लेकिन किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। यह रुख 21वीं सदी के नए भारत की पहचान बनता जा रहा है।


भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की नई ऊँचाइयाँ

राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ के बीच फोन पर हुई चर्चा का मुख्य उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करना था। दोनों नेताओं ने पिछले वर्षों में हुई प्रगति की सराहना की और स्वीकार किया कि यह साझेदारी अब केवल उपकरणों की खरीद तक सीमित नहीं है। राजनाथ सिंह ने "मेक इन इंडिया" के तहत अमेरिकी निवेश का स्वागत किया, जबकि हेगसेथ ने भारत को एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार बताया।


भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा

इस वार्ता में साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ड्रोन प्रौद्योगिकी जैसे भविष्य के खतरों पर भी चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि आधुनिक युद्ध केवल पारंपरिक सीमाओं तक सीमित नहीं है और इसके लिए तकनीकी नवाचारों में सहयोग आवश्यक है। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में एकजुटता दिखाते हुए, उन्होंने आतंकवाद को समर्थन देने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बात कही।


राजनाथ सिंह का सोशल मीडिया पर संदेश

वार्ता के बाद, राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए उत्कृष्ट चर्चा हुई। उन्होंने अमेरिका द्वारा आतंकवाद के खिलाफ समर्थन की सराहना की और व्यक्तिगत रूप से मिलने की इच्छा व्यक्त की। यह इस वर्ष जनवरी के बाद से राजनाथ सिंह और हेगसेथ के बीच तीसरी बातचीत थी, जो दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में बढ़ती घनिष्ठता को दर्शाती है।


विश्वास और सहयोग का प्रतीक

राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ की यह बैठक भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में विश्वास, सहयोग और तकनीकी गहराई का प्रमाण है। यह वार्ता केवल दो देशों के बीच सहयोग नहीं, बल्कि एक ऐसे वैश्विक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें लोकतांत्रिक मूल्य, साझा सुरक्षा और स्थायित्व की प्रतिबद्धता प्रमुख है।