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भाजपा विधायक पर गरीब ई-रिक्शा चालक से पैसे वसूलने का आरोप

उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक बाबूराम पासवान एक विवादास्पद घटना में शामिल हुए हैं, जहां उन्होंने एक गरीब ई-रिक्शा चालक से 4000 रुपये वसूलने का प्रयास किया। यह मामला जौनपुर जिले में एक मामूली सड़क दुर्घटना के बाद सामने आया, जब विधायक ने चालक पर पैसे देने का दबाव डाला। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। क्या यह नेता चुनाव में जनता के साथ खड़े होने का दावा करते हैं, फिर सत्ता में आने पर गरीबों से पैसे वसूलने लगते हैं? जानें पूरी कहानी।
 

भाजपा विधायक की विवादास्पद हरकत


उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक बाबूराम पासवान एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार किसी जनहित के कार्य के लिए नहीं, बल्कि एक साधारण सड़क दुर्घटना में गरीब ई-रिक्शा चालक से 4000 रुपये वसूलने के मामले में।


यह घटना जौनपुर जिले के मछलीशहर क्षेत्र में हुई। विधायक की चमचमाती स्कॉर्पियो गाड़ी का हल्का सा टकराव ई-रिक्शा से हुआ, जिससे केवल गाड़ी का एक इंडिकेटर टूट गया। लेकिन विधायक ने इसे अपने फायदे के लिए भुनाने का मौका समझा।


उन्होंने तुरंत कहा, "गलती तुम्हारी है, 4000 रुपये दो, वरना देख लेंगे!"


ई-रिक्शा चालक ने हाथ जोड़कर और पैर पकड़कर विनती की, "साहब, मैं गरीब आदमी हूँ, मेरी रोज की कमाई 300-400 रुपये है, इतने पैसे कहाँ से लाऊँ?" आस-पास खड़े लोगों ने भी विधायक से अनुरोध किया कि इंश्योरेंस है, कंपनी भर देगी। लेकिन विधायक ने किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया।


आखिरकार, लोगों ने मिलकर चंदा इकट्ठा किया। किसी ने 100, किसी ने 50, और किसी ने 200 रुपये दिए, और इस तरह 4000 रुपये पूरे करके विधायक को दे दिए। पैसे मिलते ही विधायक मुस्कुराते हुए अपनी स्कॉर्पियो में बैठकर वहाँ से चले गए।


सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। एक यूजर रघु ने लिखा, "वोट मांगने में करोड़ों खर्च कर देते हैं, और जीतने के बाद गरीब जनता से वसूली शुरू कर देते हैं!"


एक अन्य यूजर संतोष कुमार ने कहा, "विधायक जी बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं। शायद इन्हें पता नहीं कि इंश्योरेंस क्या होता है। ये खुद कानून बनाते हैं और खुद ही तोड़ते हैं।"


फिलहाल, विधायक बाबूराम पासवान का कोई बयान नहीं आया है। लेकिन जनता यह सवाल कर रही है कि जो नेता चुनाव में "हम आपके साथ हैं" का नारा लगाते हैं, क्या सत्ता में आने के बाद गरीबों की जेब काटना शुरू कर देते हैं?