भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों के लिए एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता: सीडीएस जनरल अनिल चौहान
भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों पर सीडीएस का दृष्टिकोण
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को कहा कि तकनीकी विकास और युद्ध के बदलते स्वरूप को देखते हुए, भारत को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए एकीकृत, त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।
उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाया जा सके।
जनरल चौहान ने कहा, “जब जमीन, समुद्र, हवा, साइबर और अंतरिक्ष में संघर्ष का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, हमारी प्रतिक्रिया को भी एकीकृत, त्वरित और निर्णायक होना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “भविष्य का युद्धक्षेत्र सेनाओं की सीमाओं को नहीं पहचानता। इसके लिए संयुक्त सोच, योजना और कार्यान्वयन की आवश्यकता है।”
सीडीएस ने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “हमें न केवल एक साथ लड़ने के लिए, बल्कि एक साथ सोचने के लिए भी तैयार रहना होगा।”
उन्होंने कहा, “एकजुटता अब केवल एक आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे निरंतर परिवर्तन का आधार है।”
यह टिप्पणी जनरल चौहान ने ‘रण संवाद’ नामक दो दिवसीय सम्मेलन से पहले की, जो युद्धक्षेत्र के विभिन्न पहलुओं और भारत की युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के तरीकों पर केंद्रित होगा। यह सम्मेलन 26 और 27 अगस्त को महू स्थित सेना युद्ध महाविद्यालय में आयोजित किया जाएगा।
सीडीएस ने कहा, “यह सेमिनार एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां सेवारत अधिकारी संघर्ष और युद्ध की वास्तविकताओं पर चर्चा करेंगे।”
उन्होंने कहा कि ‘रण संवाद’ एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जहां सेना के सामूहिक दृष्टिकोण पर चर्चा होगी।
जनरल चौहान ने कहा, “यह सेमिनार शक्ति प्रदर्शन के बारे में नहीं है, बल्कि उद्देश्य की स्पष्टता, एकजुट प्रयासों और सभी सेवाओं में साझा अभियानगत समझ को आकार देने के बारे में है।”
रण संवाद सम्मेलन के अंतिम दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे, जबकि जनरल चौहान उद्घाटन दिवस पर अपना संबोधन देंगे। इस आयोजन के दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांत, तकनीकी परिप्रेक्ष्य और क्षमता संबंधी रूपरेखा भी जारी की जाएगी।