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भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र में तीलियों की संख्या: रहस्य और मान्यताएँ

भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र में तीलियों की संख्या को लेकर कई मान्यताएँ हैं। कुछ ग्रंथों में इसे 108 तीलियों वाला बताया गया है, जबकि अन्य में 16 या 1000 तीलियों का उल्लेख है। इस लेख में हम सुदर्शन चक्र के महत्व, उसकी विशेषताओं और तीलियों की संख्या के पीछे की धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा करेंगे। जानें इस दिव्य अस्त्र के रहस्यों के बारे में और कैसे यह धर्म, समय और ऊर्जा का प्रतीक है।
 

सुदर्शन चक्र का महत्व


सुदर्शन चक्र, जो भगवान विष्णु के दाहिने पिछले हाथ में होता है, इसे आयुधपुरुष के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग राक्षसों के विनाश के लिए किया गया था।


इस चक्र में तीलियों की संख्या को लेकर कई मान्यताएँ हैं, जिनमें से कुछ के अनुसार इसमें 108 तीलियाँ होती हैं।


भगवान विष्णु ने इस चक्र को प्राप्त करने के लिए 1000 वर्षों तक भगवान शिव के 1000 नामों से स्तुति की थी।


सुदर्शन चक्र केवल एक अस्त्र नहीं है, बल्कि यह धर्म, समय और ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है।


सुदर्शन चक्र में तीलियों की संख्या

सुदर्शन चक्र एक दिव्य चक्र है, जिसे भगवान विष्णु के चार हाथों में से दाहिने पिछले हाथ पर दर्शाया गया है। ऋग्वेद में इसे विष्णु के प्रतीक और समय के पहिये के रूप में वर्णित किया गया है। चक्र बाद में आयुधपुरुष के रूप में उभरा, जो भगवान विष्णु का एक उग्र रूप था।


कुछ मान्यताओं के अनुसार, सुदर्शन चक्र में कुल 108 तीलियाँ होती हैं। यह संख्या हिन्दू धर्म, ज्योतिष, योग और तंत्र में एक पवित्र संख्या मानी जाती है। उदाहरण के लिए, 108 उपनिषद, 108 नाम जप, और 9 ग्रह x 12 राशियां = 108।


कुछ ग्रंथों में इसे केवल 16 तीलियों वाला बताया गया है, विशेष रूप से तांत्रिक चित्रों में। अन्य मान्यताओं के अनुसार, इसमें 1000 आरे हैं, क्योंकि भगवान विष्णु ने इसे प्राप्त करने के लिए 1000 वर्षों तक भगवान शिव की स्तुति की थी।


हरिवंश पुराण के अनुसार, सुदर्शन चक्र में 108 आरे हैं, जबकि विष्णु पुराण में इसे 12 आरे वाला बताया गया है।


सुदर्शन चक्र की विशेषताएँ

यह भगवान विष्णु का अस्त्र है, जिसे उन्होंने धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए धारण किया है। इसे 'सर्वविनाशक' और 'स्वायत्त' हथियार माना गया है।


यह चक्र तेज़ गति से चलता है और अपने लक्ष्य को भेद कर वापस लौट आता है। यह केवल एक हथियार नहीं, बल्कि धर्म, समय और ऊर्जा का प्रतीक है।