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भंडारे की परंपरा: जानें क्यों कुछ लोगों को नहीं खाना चाहिए भंडारे का खाना

भंडारे का खाना भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों को इसे नहीं खाना चाहिए? इस लेख में हम भंडारे की परंपरा, इसके पीछे के धार्मिक कारण और भंडारे में शामिल होने के सही तरीके के बारे में चर्चा करेंगे। जानें कैसे आप भंडारे का आनंद ले सकते हैं बिना किसी के हक को मारें।
 

भंडारे का आकर्षण


जब लोग 'भंडारा.. भंडारा.. भंडारा.. विशाल भंडारा..' सुनते हैं, तो उनके मन में लड्डू खाने की इच्छा जाग उठती है। कई लोग तो सुबह से भूखे रहकर भंडारे में ज्यादा खाने की योजना बनाते हैं। कुछ लोग तो भंडारे का खाना टिफिन में पैक कर घर भी ले जाते हैं।


भंडारे का स्वाद

भंडारे का खाना वाकई में अद्भुत होता है। यहाँ गरमा गरम पूरी, रामभाजी, सेव, मीठी बूंदी और कभी-कभी मिठाई का एक टुकड़ा भी मिलता है। इन सब बातों का जिक्र करते ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन इससे पहले कि आप भंडारे की ओर दौड़ें, एक पल रुककर हमारी बातें सुनें।


भंडारे का खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई लोगों को भंडारे का खाना नहीं खाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ विशेष व्यक्तियों को भंडारे का खाना खाने से बचना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों है? आइए जानते हैं।


भंडारे की परंपरा का इतिहास


भंडारे की परंपरा का आरंभ अन्नदान से हुआ है। शास्त्रों में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराने का महत्व बताया गया है। इस नेक कार्य से भगवान प्रसन्न होते हैं और अच्छे फल देते हैं। इसी अन्नदान की परंपरा ने भंडारे का रूप लिया।


भंडारे में भोजन करने के कारण

भंडारे का मुख्य उद्देश्य गरीबों की सहायता करना है। जब सक्षम लोग भंडारे में मुफ्त खाना खाते हैं, तो यह जरूरतमंदों का हक मारने जैसा होता है। इसलिए हमें इस पर विचार करना चाहिए।


भंडारे में शामिल होने के उपाय


यदि आप भंडारे का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप अपनी सामर्थ्यानुसार दान कर सकते हैं या भोजन परोसने का कार्य कर सकते हैं। इस तरह आप न केवल खुद खाएंगे, बल्कि दूसरों को भी अपने पैसे से खिलाएंगे।


भंडारे का आयोजन

तो आज ही अपने आसपास एक भंडारे का आयोजन करें और इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं ताकि वे भी भंडारे के खाने की सच्चाई जान सकें।