भंडारे का महत्व: क्यों नहीं खाना चाहिए भंडारे का भोजन?
भंडारे का आकर्षण
जब लोग 'भंडारा.. भंडारा.. भंडारा.. विशाल भंडारा..' सुनते हैं, तो उनके मन में लड्डू खाने की इच्छा जाग उठती है। कई लोग तो सुबह से भूखे रहकर भंडारे में अधिक खाने की योजना बनाते हैं। कुछ लोग तो भंडारे का खाना टिफिन में पैक कर घर ले जाने का भी प्रयास करते हैं।
भंडारे का स्वाद
भंडारे का खाना हमेशा से ही खास होता है। यहां गरमा गरम पूरी, रामभाजी, सेव, मीठी बूंदी और कभी-कभी मिठाई का टुकड़ा भी मिलता है। इन सब बातों से ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन इससे पहले कि आप भंडारे की ओर बढ़ें, एक पल रुककर हमारी बातें सुनें।
भंडारे का खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई लोगों को भंडारे का खाना नहीं खाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ विशेष व्यक्तियों को भंडारे का भोजन ग्रहण करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
भंडारे की परंपरा का इतिहास
भंडारे की परंपरा का आरंभ अन्नदान से हुआ है। हमारे शास्त्रों में गरीबों को भोजन कराने और कपड़े बांटने को शुभ कार्य माना गया है। इस परंपरा ने धीरे-धीरे भंडारे का रूप ले लिया।
भंडारे में भोजन करने के नकारात्मक पहलू
भंडारे का मुख्य उद्देश्य गरीबों की सहायता करना है। जब सक्षम लोग भंडारे का भोजन करते हैं, तो यह जरूरतमंदों का हक मारने जैसा होता है। इसलिए हमें इस पर ध्यान देना चाहिए।
भंडारे में योगदान देने के तरीके
यदि आप भंडारे का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप अपनी सामर्थ्यानुसार दान कर सकते हैं या भोजन परोसने का कार्य कर सकते हैं। इस तरह आप न केवल दूसरों की मदद करेंगे, बल्कि खुद भी अन्नदान का लाभ उठा सकेंगे।
भंडारे का आयोजन
तो अब देर किस बात की? आज ही अपने आस-पास एक भंडारे का आयोजन करें और इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं।