बॉम्बे हाईकोर्ट ने गणपति मूर्तियों पर प्रतिबंध वापस लिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गणपति मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध को वापस ले लिया है। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ द्वारा लिया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि मूर्तियों को प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित करने के लिए अनुमति आवश्यक होगी। महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। जानें इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और आगे की सुनवाई की तारीख।
Jun 9, 2025, 17:31 IST
गणपति मूर्तियों के निर्माण पर नया आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को जनवरी में दिए गए अपने आदेश को पलटते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी गणपति मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रस्तुत हलफनामे पर विचार किया।
पीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि यह याचिकाकर्ताओं और पीओपी मूर्तियाँ बनाने वाले कारीगरों के लिए भी खुला रहेगा। हालांकि, अदालत की अनुमति के बिना इन मूर्तियों को प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित नहीं किया जा सकेगा। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है और 30 जून को याचिकाओं पर पुनः सुनवाई होगी।
महाराष्ट्र सरकार ने सीपीसीबी को एक पत्र भेजा, जिसके बाद इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। समिति ने कहा कि पीओपी मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इन्हें प्राकृतिक जल निकायों में विसर्जित नहीं किया जा सकता। सीपीसीबी ने यह भी स्पष्ट किया कि 2020 में जारी दिशा-निर्देश वैधानिक नहीं थे, बल्कि केवल अनुशंसात्मक थे। सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि यह अपने अधिकार को कमजोर करने का एक उदाहरण है। अदालत ने कहा कि आपके पास शक्ति है, फिर भी आप मना कर रहे हैं। इस पर महाराष्ट्र के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने राज्य सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए समय मांगा।