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बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे परियोजना में फिर से देरी, अब जुलाई 2026 तक पूरा होने की संभावना

बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे परियोजना में एक बार फिर देरी हो गई है, जिसके पूरा होने की नई समयसीमा दिसंबर 2025 से जुलाई 2026 के बीच बताई जा रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में इसकी जानकारी दी। परियोजना की प्रगति, राज्यवार स्थिति, और देरी के कारणों पर चर्चा की गई है। इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने से यात्रा का समय कम होगा और आर्थिक संबंध मजबूत होंगे। जानें इस परियोजना के बारे में और अधिक जानकारी।
 

परियोजना की स्थिति

बेंगलुरु और चेन्नई को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित एक्सप्रेसवे परियोजना में एक बार फिर देरी हो गई है। अब इसके पूरा होने की संभावना दिसंबर 2025 से जुलाई 2026 के बीच बताई जा रही है। यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को संसद में दी।


परियोजना की प्रगति

इस परियोजना की शुरुआत 2022 में हुई थी और इसे 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन विभिन्न कारणों से इसे कई बार स्थगित किया गया है। बेंगलुरु सेंट्रल के सांसद पीसी मोहन के प्रश्न के उत्तर में गडकरी ने बताया कि अब तक 263.4 किलोमीटर में से केवल 100.7 किलोमीटर का काम पूरा हुआ है। इस परियोजना की लागत 15,188 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, और अब इसमें तीन साल से अधिक की देरी हो रही है।


राज्यवार प्रगति

कर्नाटक में, बेंगलुरु से बेथामंगल तक 71.7 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।
सुंदरपाल्या से बैरेड्डिपल्ली तक का खंड दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है।


आंध्र प्रदेश में, बांगारुपालेम से गुडिपल्ला तक 29 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।


बैरेड्डिपल्ली से बांगारुपालेम तक का अंतिम लिंक जून 2026 तक पूरा होगा।


तमिलनाडु में, गुडिपल्ला से वलाजापेट (24 किलोमीटर) और वलाजापेट से अरक्कोनम (24.5 किलोमीटर) का खंड अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है।


अरक्कोनम से कांचीपुरम (25.5 किलोमीटर) का काम मार्च 2026 तक पूरा हो सकता है और कांचीपुरम से श्रीपेरंबुदूर (31.7 किलोमीटर) का खंड दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।


देरी के कारण

गडकरी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण में जटिलताएं, राज्य सरकारों से आवश्यक अनुमतियों में देरी और तकनीकी समस्याएं इस परियोजना में बाधा डाल रही हैं।


कर्नाटक में, भूमि अधिग्रहण में देरी, प्रभावित संपत्तियों के लिए उचित मुआवजे की कमी और सार्वजनिक विरोध मुख्य कारण रहे हैं।


तमिलनाडु में, चट्टान काटने और विस्फोट जैसे तकनीकी कार्यों के लिए अनुमतियों में देरी हुई है।


आंध्र प्रदेश में, काउंडिन्या वन्यजीव अभयारण्य के 10 किलोमीटर संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू करने के लिए अनुमति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण रहा है।


एक्सप्रेसवे के लाभ

इस उच्च गति एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद, बेंगलुरु और चेन्नई के बीच यात्रा का समय 6-7 घंटे से घटकर 4 घंटे से कम हो जाएगा। यह परिवहन और लॉजिस्टिक्स को तेज करेगा और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच आर्थिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करेगा।


हालांकि, बार-बार की देरी पर स्थानीय आलोचना और चिंता रही है, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि यह परियोजना सर्वोच्च प्राथमिकता पर है और इसे राज्य सरकारों के सहयोग से शीघ्रता से पूरा किया जाएगा।