बिहार विधानसभा चुनाव: दीघा सीट पर सियासी हलचल तेज
चुनाव की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा होते ही सभी राजनीतिक दल चुनावी रणनीतियों के साथ सक्रिय हो गए हैं। सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, और चुनाव दो चरणों में होंगे। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को निर्धारित है। दीघा विधानसभा सीट, जो कि महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस चुनाव में खास ध्यान आकर्षित कर रही है। 1952 में बिहार विधानसभा में 330 सीटें थीं, लेकिन झारखंड के गठन के बाद यह संख्या घटकर 243 रह गई।
दीघा सीट का चुनावी इतिहास
2010 से अब तक दीघा विधानसभा सीट पर एनडीए का प्रभाव बना हुआ है। 2010 में जेडीयू की पूनम यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बाद यह सीट भाजपा के पास चली गई। पिछले दो चुनावों, 2010 और 2015 में, भाजपा के संजीव चौरसिया ने जीत दर्ज की थी, जिन्होंने जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन को हराया।
मुख्य मुकाबला
इस बार दीघा विधानसभा सीट पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। सीपीआईएमएल ने दिव्या गौतम को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है, जो दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कजिन हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने संजीव चौरसिया को चुनावी मैदान में उतारा है।
दीघा विधानसभा सीट की विशेषताएँ
दीघा विधानसभा सीट पर यादव, कोइरी, भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कुर्मी समुदाय के वोटरों की संख्या अधिक है। यह एक शहरी निर्वाचन क्षेत्र है, जिसमें लगभग 4.73 लाख मतदाता हैं। इसमें 6 पंचायतें और नगर निगम के 14 वार्ड शामिल हैं। शहरी क्षेत्र होने के कारण, इसे बिहार का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है।