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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान कराने का निर्णय लिया है, जिसमें पहले चरण के लिए 6 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस बार कुल 1800 कंपनियों की तैनाती की जाएगी, जिसमें से 500 कंपनियों की अग्रिम तैनाती शुरू हो चुकी है। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के साथ, चुनाव में हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं होगी। जानें इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया और सुरक्षा इंतजामों के बारे में।
 

बिहार चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की अग्रिम तैनाती शुरू

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद सुरक्षाबलों की तैनाती की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। जानकारी के अनुसार, राज्य में कुल 500 कंपनियों की अग्रिम तैनाती की जा रही है। इसके बाद बाकी कंपनियों की तैनाती चुनाव से पहले की जाएगी। इस बार चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जाएंगे, जिससे सुरक्षाबलों की आवश्यकता बढ़ जाएगी।

बिहार चुनाव के लिए कुल 1800 कंपनियों की मांग की गई है। इनमें से 500 कंपनियां पहले ही भेजी जा रही हैं, और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 1200 और कंपनियां भेजी जा सकती हैं। इस प्रकार, कुल मिलाकर सुरक्षाबलों की संख्या 1700 कंपनियों तक पहुंच जाएगी।

बुधवार को स्थिति स्पष्ट होगी

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कितनी कंपनियां भेजेगा, इसका पता बुधवार को चलेगा। आमतौर पर चुनावों में सीएपीएफ, सीआरपीएफ, और आरएएफ जैसी सुरक्षाबलों की कंपनियों को तैनात किया जाता है। बिहार में भी इनकी तैनाती की जाएगी।

चुनाव दो चरणों में होंगे

चुनाव आयोग ने बिहार में दो चरणों में चुनाव कराने का निर्णय लिया है। पहले चरण के लिए मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। पहले चरण में 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होगा। इस स्थिति में सुरक्षाबलों के पास मूवमेंट के लिए बहुत कम समय होगा, इसलिए अधिक जवानों की आवश्यकता होगी।

सुरक्षा के लिए अधिक जवानों की आवश्यकता

चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे और चुनाव में हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं होगी। आयोग ने यह भी बताया है कि एक मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। इसका अर्थ है कि इस बार मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ेगी, जिससे सुरक्षा के लिए जवानों की आवश्यकता और बढ़ जाएगी।