बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोर पकड़ रही है, जहां एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। चुनाव आयोग आज चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो जाएगी। एनडीए की वर्तमान स्थिति मजबूत है, लेकिन महागठबंधन भी अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है। जानें किस क्षेत्र में किसका प्रभाव है और चुनावी गणित कैसे काम करेगा।
Oct 6, 2025, 13:35 IST
बिहार चुनाव की तैयारी: सीटों का गणित
बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ सियासी हलचल तेज होने वाली है। सभी पार्टियां अपने पुराने गढ़ों की रक्षा और नए मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश में जुटी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 का चुनाव किसके पक्ष में जाता है। क्या एनडीए अपनी स्थिति बनाए रखेगा या महागठबंधन वापसी करेगा?
पटना: बिहार में चुनावी माहौल फिर से गर्म हो रहा है। आज शाम चार बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। संभावना है कि मतदान दो चरणों में होगा, और छठ पूजा के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी। 2020 में राज्य में तीन चरणों में मतदान हुआ था, लेकिन इस बार सभी दल दो चरणों में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सत्ता में है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) शामिल हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) में राजद (RJD), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं।
किसके पास कितनी सीटें
वर्तमान में बीजेपी के पास 78 विधायक हैं, जबकि आरजेडी के पास 77 सीटें हैं। जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19 और वाम दलों के पास 16 सीटें हैं। इसके अलावा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के पास चार-चार सीटें हैं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास दो सीटें हैं। कुछ निर्दलीय और छोटे दलों के पास मिलाकर पांच सीटें हैं। गठबंधन के हिसाब से एनडीए के पास 133 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास 112 सीटें हैं। इस प्रकार, एनडीए की स्थिति अभी भी मजबूत है।
वर्तमान में बीजेपी के पास 78 विधायक हैं, जबकि आरजेडी के पास 77 सीटें हैं। जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19 और वाम दलों के पास 16 सीटें हैं। इसके अलावा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के पास चार-चार सीटें हैं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास दो सीटें हैं। कुछ निर्दलीय और छोटे दलों के पास मिलाकर पांच सीटें हैं। गठबंधन के हिसाब से एनडीए के पास 133 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास 112 सीटें हैं। इस प्रकार, एनडीए की स्थिति अभी भी मजबूत है।
बिहार में एनडीए और महागठबंधन के अपने-अपने मजबूत गढ़ हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं कौन-सा क्षेत्र किसके प्रभाव में है…
एनडीए के मजबूत क्षेत्र
उत्तर बिहार- मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा और मधुबनी जैसे जिलों में एनडीए, विशेषकर जेडीयू और बीजेपी, का प्रभाव है। यहां की सामाजिक संरचना ऊपरी जातियों और गैर-यादव पिछड़ों के पक्ष में होती है, जो एनडीए को बढ़त देती है। नीतीश कुमार के शासन और विकास कार्यों का प्रभाव इन क्षेत्रों में स्पष्ट है।
शाहाबाद और मगध क्षेत्र: 2025 के चुनाव में बीजेपी भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल पर ध्यान केंद्रित कर रही है। अमित शाह ने कहा है कि पार्टी का लक्ष्य इन क्षेत्रों में 80% सीटें जीतना है। हालांकि, 2020 में एनडीए का प्रदर्शन इन क्षेत्रों में कमजोर रहा था।
शहरी क्षेत्र: पटना जैसे शहरी इलाकों में एनडीए को मध्यवर्ग और व्यापारी वर्ग के वोट से लाभ मिलता है।
महागठबंधन के मजबूत क्षेत्र
सीमांचल: किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे जिलों में महागठबंधन की पकड़ मजबूत है। यहां मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या अधिक है, जिससे आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को बढ़त मिलती है। एनडीए को इस क्षेत्र में एआईएमआईएम और इंडिया गठबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
मध्य बिहार: सारण, छपरा, वैशाली, हाजीपुर, गोपालगंज और सीवान जैसे जिलों में आरजेडी का परंपरागत दबदबा है। यहां यादव-मुस्लिम समीकरण महागठबंधन के लिए जीत की कुंजी साबित होता है।
कोसी, मिथिलांचल और पूर्वी बिहार: सुपौल, मधेपुरा और सहरसा के कोसी बेल्ट के अलावा मिथिलांचल के कुछ जिलों में भी आरजेडी और उसके सहयोगी दलों की स्थिति मजबूत रहती है। यहां जातीय एकजुटता और स्थानीय नेताओं का प्रभाव महागठबंधन को लाभ पहुंचाता है.