बिहार विधानसभा चुनाव 2023: राजनीतिक महासंग्राम की तैयारी
बिहार विधानसभा चुनाव 2023 की तारीखों की घोषणा के साथ राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। 243 सीटों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, और 14 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है। क्या नीतीश कुमार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे, या तेजस्वी यादव को मौका मिलेगा? जानें इस चुनाव की संभावनाएँ और पिछले चुनावों का विश्लेषण।
Oct 6, 2025, 20:16 IST
बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है, जिससे इस साल के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक मुकाबलों में से एक की शुरुआत हो गई है। 243 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होगा, जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। एनडीए गठबंधन, जिसमें भाजपा, जनता दल (यूनाइटेड), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तान आवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक शक्ति पार्टी (रालोसपा) शामिल हैं, का सामना राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के इंडिया ब्लॉक से होगा। इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है।
नए खिलाड़ी का मुकाबला
दोनों गठबंधनों को प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज से भी चुनौती मिलेगी, जो प्रमुख दलों के वोट शेयर में सेंध लगाने की कोशिश कर सकते हैं। मतदाताओं के रुख को समझने के लिए, पिछले दो विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर एक नज़र डालते हैं। बिहार की राजनीति में सहयोगी दलों के बीच पाला बदलने की घटनाएँ आम रही हैं, जिसमें जद-यू नेता नीतीश कुमार ने अपने दो दशकों के कार्यकाल में कई बार ऐसा किया है।
मुख्यमंत्री की दौड़
बिहार में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? एनडीए, इंडिया ब्लॉक अलायंस और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। क्या नीतीश कुमार लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बन पाएंगे? यदि एनडीए जीतता है, तो क्या भाजपा किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री पद के लिए पेश करेगी? या फिर विपक्ष इस बार सत्ता में आएगा?
तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता
कई सर्वेक्षणों के अनुसार, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार बने हुए हैं। यादव नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की लोकप्रियता भी बढ़ रही है, जो हाल के जनमत सर्वेक्षण में 23 प्रतिशत तक पहुँच गई है।
पिछले चुनावों का विश्लेषण
2015 के चुनाव, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, में राजद और जद-यू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। राजद ने 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जद-यू ने 71 सीटें हासिल कीं। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं चला और नीतीश कुमार ने एनडीए में शामिल होकर सरकार बनाई। 2020 में, एनडीए ने 125 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया।
भाजपा की स्थिति में सुधार
भाजपा ने 2015 और 2020 के चुनावों के बीच अपनी स्थिति में सुधार किया है। 2015 में 157 सीटों पर चुनाव लड़कर 53 सीटें जीतीं, जबकि 2020 में 110 सीटों में से 74 सीटें जीतीं। राजद ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि जद-यू और कांग्रेस के प्रदर्शन में गिरावट आई।
भविष्य की संभावनाएँ
2020 के विधानसभा चुनावों में, राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि भाजपा 74 सीटों पर रही। दोनों पार्टियों का एक मजबूत मतदाता आधार है। जन सुराज जैसे नए खिलाड़ी के आने से, यह चुनाव एक कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है, जिसमें छोटी पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।