बिहार में राजनीतिक तनाव: जन सुराज पार्टी के समर्थक की हत्या से बढ़ी चिंताएं
बिहार में राजनीतिक तनाव का नया मोड़
बिहार में राजनीतिक माहौल गुरुवार को उस समय और भी तनावपूर्ण हो गया जब प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के एक समर्थक की पटना के मोकामा में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस ने मृतक की पहचान दुलारचंद यादव के रूप में की है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, दुलारचंद यादव की हत्या उस समय हुई जब दो राजनीतिक दलों के समर्थकों के बीच झड़प हुई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दुलारचंद की हत्या उस समय हुई जब वह जेएसपी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार कर रहे थे।
घटना की जानकारी और पुलिस की प्रतिक्रिया
पुलिस के अनुसार, दुलारचंद यादव कभी बिहार की राजनीति के कई प्रमुख नेताओं के करीबी माने जाते थे। घटना के समय वह चुनाव प्रचार में शामिल थे, जब उनके साथ झड़प हुई और उन्हें गोली लगी।
यादव हाल ही में प्रशांत किशोर की पार्टी के स्थानीय उम्मीदवार का समर्थन कर रहे थे। पटना (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक विक्रम सिहाग ने बताया कि यादव को पैर में गोली लगी थी, लेकिन उनकी मौत वाहन से कुचले जाने के कारण हुई। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाएगा।
परिवार की प्रतिक्रिया और राजनीतिक आरोप
यादव के परिवार ने कहा कि वे उनके बेटे के आने का इंतजार कर रहे हैं। पटना जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि दुलारचंद यादव के शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि मोकामा में उनके उम्मीदवार दुलारचंद यादव के भतीजे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावरों ने यादव को गोली मारने के बाद उनकी कार के पहियों के नीचे कुचल दिया।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ
जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि यह घटना लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान इस तरह के हमले जघन्य अपराध हैं।
इस सीट पर जनता दल (यू) के अनंत सिंह और राजद की वीणा देवी चुनावी मैदान में हैं। मोकामा में मतदान छह नवंबर को होगा। जन सुराज पार्टी के समर्थकों ने जद(यू) उम्मीदवार पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है।
बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार में बंदूकधारी गुंडे खुलेआम घूम रहे हैं, जो राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे 20 साल पहले की बातें करना बंद करें और बताएं कि राजग किस तरह का शासन लेकर आया है।