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बिहार में मां सीता का भव्य मंदिर निर्माण की तैयारी

मोदी सरकार ने बिहार में मां सीता के मंदिर के निर्माण की योजना बनाई है, जिसे जनकी मंदिर कहा जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस परियोजना का शिलान्यास करेंगे, जिसमें 882.87 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सीतामढ़ी को देवी सीता की जन्मभूमि माना जाता है, और इस मंदिर के पुनर्विकास से स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। जानें इस महत्वपूर्ण परियोजना के बारे में और क्या जानकारी है।
 

बिहार में जनकी मंदिर का निर्माण

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, मोदी सरकार अब बिहार में मां सीता के मंदिर का निर्माण करने जा रही है। इस मंदिर को जनकी मंदिर के नाम से जाना जाता है। सीता मां का जन्मस्थान जनकपुर है, जो बिहार-नेपाल सीमा के निकट स्थित है। यहां के लोग मां सीता की पूजा करते हैं और उन्हें अपनी देवी मानते हैं। इस धार्मिक मान्यता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने जनकी मंदिर के पुनर्विकास का निर्णय लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम में जानकी मंदिर के पुनर्विकास की परियोजना का शिलान्यास करेंगे। अधिकारियों के अनुसार, सीतामढ़ी को देवी सीता की जन्मभूमि माना जाता है। इस परियोजना की लागत 882.87 करोड़ रुपये से अधिक होगी, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे।


परियोजना का वित्तीय विवरण

राज्य मंत्रिमंडल ने मंदिर परिसर के समग्र विकास के लिए 1 जुलाई को 882.87 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। इस राशि में से 137 करोड़ रुपये पुराने मंदिर और उसके परिसर के विकास पर खर्च किए जाएंगे, जबकि 728 करोड़ रुपये पर्यटन गतिविधियों के लिए आवंटित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, 10 वर्षों तक रखरखाव के लिए 16 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना का कार्यान्वयन बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (बीएसटीडीसी) द्वारा किया जाएगा। राज्य सरकार ने हाल ही में मंदिर के निर्माण और पुनर्विकास के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक नौ सदस्यीय न्यास का गठन किया है।


अमित शाह का ऐतिहासिक कार्यकाल

हाल ही में, अमित शाह भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री बन गए हैं। उन्होंने 30 मई, 2019 को पद ग्रहण किया और अब तक 2,258 दिनों तक इस पद पर बने रहे हैं, जिससे उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। शाह का कार्यकाल कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद बल्लभ पंत से भी लंबा हो गया है, जिससे उनकी स्थिति एनडीए सरकार में मजबूत हुई है। यह उपलब्धि उन्होंने 5 अगस्त को हासिल की, जब उन्होंने संसद में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा की थी।