बिहार में मां के दूध में यूरेनियम की खोज: स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा
मां का दूध: बच्चों के लिए अमृत या जहर?
बच्चों के लिए मां का दूध सबसे पौष्टिक आहार माना जाता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल उनके शारीरिक विकास में मदद करता है, बल्कि मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। मां का दूध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से बचाता है।
हालांकि, एक चिंताजनक अध्ययन ने बिहार के कुछ जिलों में मां के दूध में यूरेनियम की उपस्थिति का खुलासा किया है। यह स्थिति स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
अध्ययन की शुरुआत और उद्देश्य
यह अध्ययन 2021 में शुरू हुआ और 2024 में समाप्त होगा। यह बिहार के भोजपुर, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जैसे जिलों में किया गया। अध्ययन का उद्देश्य मां के दूध में यूरेनियम की मात्रा और इसके संभावित स्वास्थ्य प्रभावों का पता लगाना था।
यूरेनियम का स्वास्थ्य पर प्रभाव
यूरेनियम एक भारी और प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला रेडियोधर्मी तत्व है, जो मुख्य रूप से पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में पाया गया है। यह मानव शरीर के लिए विषाक्त हो सकता है, खासकर जब इसे निगला जाए। इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव गुर्दे की क्षति, कैंसर का खतरा, और प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकते हैं।
अध्ययन में भाग लेने वाली माताएं
इस अध्ययन में 17 से 35 वर्ष की आयु की 40 माताओं ने भाग लिया। प्रत्येक मां ने अपने दूध का नमूना प्रदान किया, जिसे सुरक्षित रूप से विश्लेषण के लिए भेजा गया।
यूरेनियम की मात्रा का विश्लेषण
अध्ययन में पाया गया कि सभी नमूनों में यूरेनियम की सांद्रता 0 से 6µg/L के बीच थी। कटिहार में सबसे अधिक 5.25 एमजी प्रति लीटर यूरेनियम पाया गया। अन्य जिलों में भी यूरेनियम की मात्रा चिंताजनक स्तर पर थी।
संभावित स्रोत और चिंताएं
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि यूरेनियम संदूषण का स्रोत पेयजल या कृषि उत्पाद हो सकता है। यह स्थिति बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है।