बिहार में महागठबंधन की राजनीति में तनाव: मुकेश सहनी की नाराजगी
बिहार की राजनीतिक स्थिति में उथल-पुथल
बिहार की राजनीतिक स्थिति एक बार फिर तनावपूर्ण हो गई है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सहनी ने महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि कांग्रेस द्वारा वीआईपी को आवंटित आठ सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में हो रही देरी उन्हें दरकिनार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सहनी सीट बंटवारे की प्रक्रिया से बेहद असंतुष्ट हैं, जिससे उनके और गठबंधन के बीच संबंधों में खटास आ सकती है।
महागठबंधन के वादे और वर्तमान स्थिति
महागठबंधन ने पहले वीआईपी को दस सीटें देने का आश्वासन दिया था, जिसमें चार सीटें राजद के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं। हालांकि, इन वादों के बावजूद, पारदर्शिता की कमी और सूची को अंतिम रूप देने में देरी ने तनाव को बढ़ा दिया है। सहनी, जो अपनी कड़ी सौदेबाजी के लिए जाने जाते हैं, अब एक महत्वपूर्ण निर्णय का सामना कर रहे हैं। उन्होंने आज 12 बजे प्रेस वार्ता आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे 4 बजे तक टाल दिया गया है।
सहनी के राजनीतिक इतिहास में मतभेद
यह पहली बार नहीं है जब सहनी अपने राजनीतिक सहयोगियों के साथ मतभेद का सामना कर रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में, सहनी ने शुरुआत में महागठबंधन का समर्थन किया, लेकिन जब उनकी सीटों की मांग पूरी नहीं हुई, तो वे एनडीए में शामिल हो गए। वीआईपी ने एनडीए के तहत 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार पर जीत हासिल की, लेकिन कुछ विधायकों के भाजपा में शामिल होने से पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई।
भविष्य की संभावनाएँ
वर्तमान गतिरोध ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सहनी एक बार फिर महागठबंधन से अलग हो सकते हैं। गठबंधन के सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व, विशेषकर राजद के तेजस्वी यादव, ने कड़ा रुख अपनाया है और यह स्पष्ट किया है कि मौजूदा समझौता वीआईपी के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यदि सहनी और सीटों के लिए दबाव बनाते हैं, तो महागठबंधन सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे सकता है, जिससे वीआईपी को कोई लाभ नहीं होगा।