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बिहार में नीतीश कुमार की जीत: एनडीए की रणनीति और महिला मतदाताओं की भूमिका

बिहार चुनाव 2023 में नीतीश कुमार की जीत की संभावना बढ़ रही है, जिसमें एनडीए ने 200 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाई है। महिला मतदाताओं की भागीदारी ने इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां 71.6% महिलाओं ने मतदान किया। भ्रष्टाचार मुक्त छवि और विभिन्न दलों के सहयोग से एनडीए ने अपनी स्थिति मजबूत की है। जानें इस चुनाव में क्या-क्या हुआ और किस तरह से एनडीए ने विकास के मुद्दे को उठाया।
 

नीतीश कुमार की जीत का अनुमान

चुनाव आयोग के अनुसार, नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पांचवीं बार जीतने की संभावना है। शुक्रवार को मतगणना के दौरान, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 200 से अधिक सीटों पर स्पष्ट बढ़त बनाई है। ऐसा प्रतीत होता है कि वोटों को एकत्रित करने के लिए गठबंधन की रणनीति और महिला मतदाताओं को अपने नेता के पीछे लाने का प्रयास एनडीए की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


महिला मतदाता की भागीदारी

6 और 11 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया। राज्य में 67.13% का ऐतिहासिक मतदान हुआ, जो 1951 के बाद से सबसे अधिक है। 71.6% महिलाओं ने वोट डाला, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 62.8% रहा। यह तब हुआ जब अद्यतन मतदाता सूची में पुरुषों की संख्या महिलाओं से लगभग 4.3 लाख अधिक थी। यह अंतर दर्शाता है कि मतदाता नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट हैं और उनके द्वारा लागू किए गए महिला कल्याणकारी उपायों का समर्थन कर रहे हैं।


भ्रष्टाचार मुक्त छवि का महत्व

राजग ने नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार मुक्त छवि पर भरोसा किया, जो राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के कई भ्रष्टाचार मामलों के विपरीत है। वर्तमान में, लालू यादव आईआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। अदालत ने उनके और उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय किए हैं। राजग ने बार-बार भ्रष्टाचार मुक्त छवि को उजागर किया और इसे 'विकसित बिहार' के विचार से जोड़ा।


गठबंधन सहयोगियों की भूमिका

एनडीए में लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के उपेंद्र कुशवाहा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी जैसे सहयोगियों का समर्थन शामिल है। यह जीत विभिन्न दलों के वोटों को एकजुट करने की एक कोशिश प्रतीत होती है। 2020 में, लोजपा (आरवी) प्रमुख चिराग पासवान ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया था, लेकिन इस बार एनडीए ने उन्हें अपने साथ रखा है।


सोशल इंजीनियरिंग की सफलता

भाजपा ने बिहार में विभिन्न सामाजिक समूहों पर ध्यान केंद्रित किया है। भाजपा ने ओबीसी और अनुसूचित जातियों को टिकट दिए हैं और सुनिश्चित किया है कि विभिन्न उपसमूहों का प्रतिनिधित्व हो। चुनाव परिणामों का रुझान विपक्षी महागठबंधन के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन इससे उन्हें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।


एनडीए का विकास का नारा

'गरीब' राज्य बिहार का विकास एनडीए के लिए एक मजबूत चुनावी नारा रहा है। इस गठबंधन ने लोगों को 'जंगल राज' की याद दिलाई और यह भी बताया कि एनडीए ने राज्य में विकास को आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में पूर्णिया हवाई अड्डे के नए टर्मिनल का उद्घाटन किया और पार्टी ने अपने घोषणापत्र में विभिन्न विकासात्मक पहलों का वादा किया है।