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बिहार चुनावों में एनडीए की सफलता पर शुभेंदु अधिकारी का बयान

पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने बिहार चुनावों में एनडीए के प्रभावशाली प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि अब बंगाल की बारी है। वर्तमान रुझानों के अनुसार, एनडीए 202 सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें भाजपा, जेडीयू और अन्य दल शामिल हैं। नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव राजनीतिक सहनशक्ति और जनता के विश्वास की परीक्षा है। जानें इस चुनावी माहौल में क्या हो रहा है और मतदाता किस तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
 

बिहार चुनावों में एनडीए की जीत का जश्न

पश्चिम बंगाल में भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को बिहार चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रभावशाली प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है।" एनडीए ने 2025 के बिहार चुनावों में एक नया मील का पत्थर स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, क्योंकि नवीनतम रुझानों में यह 200 सीटों का आंकड़ा पार कर चुका है।


 


शुभेंदु अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है।"


 


वर्तमान रुझानों के अनुसार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए 202 सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें भाजपा 91, जेडीयू 80, एलजेपी 22, हम 5 और आरएलएम 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। यह जानकारी चुनाव आयोग के दोपहर 01:40 बजे के आंकड़ों से प्राप्त हुई है। चुनाव आयोग के अनुसार, राजद 26 सीटों पर, कांग्रेस 4 पर, भाकपा (माले) 4 पर और माकपा 1-1 सीट पर आगे है। इस प्रकार कुल सीटों की संख्या 35 हो गई है। इसके अलावा, बसपा एक सीट पर और एआईएमआईएम पांच सीटों पर आगे चल रही है।


 


नीतीश कुमार, जो लगभग दो दशकों से राज्य का शासन कर रहे हैं, के लिए यह चुनाव राजनीतिक सहनशक्ति और जनता के विश्वास की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। बिहार को अक्सर "जंगल राज" के साये से बाहर निकालने के लिए जाने जाने वाले मुख्यमंत्री को हाल के वर्षों में मतदाताओं की थकान और बदलते राजनीतिक समीकरणों पर सवालों का सामना करना पड़ा है।


 


हालांकि, मौजूदा रुझान यह दर्शाते हैं कि मतदाता एक बार फिर उनके शासन मॉडल में विश्वास जता रहे हैं।


भाजपा-जद(यू) गठबंधन की आत्मविश्वास से भरी वापसी ने इस बार चुनावी माहौल को नया रूप दिया है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़े रहकर एकजुटता और पुनर्जीवित मोर्चा पेश किया, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं, बुनियादी ढांचे के विस्तार, सामाजिक योजनाओं और प्रशासनिक स्थिरता पर जोर दिया गया।