बिहार चुनावी हलचल: नीतीश कुमार की अल्पसंख्यक नीतियों पर बहस
बिहार में सियासी गतिविधियाँ तेज
तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, राहुल गांधी
बिहार में राजनीतिक चर्चाएँ तेज हो गई हैं। सत्ताधारी JDU मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अल्पसंख्यक कल्याण कार्यों का गुणगान कर रही है, जबकि विपक्षी दल चुनाव आयोग की मतदाता सूची और सरकारी निर्णयों पर सवाल उठा रहे हैं। JDU ने अल्पसंख्यक नेताओं की एक बैठक आयोजित की, जिसमें कहा गया कि नीतीश कुमार ने पिछले 20 वर्षों में अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार किया है। इसके अलावा, माले का एक प्रतिनिधिमंडल उस स्थान का दौरा करेगा, जहां सरकार ने करोड़ों की जमीन अडानी को दी है। बुधवार को कई चुनावी समाचारों का आगमन हुआ।
नीतीश कुमार: अल्पसंख्यक समाज के सच्चे हितैषी
पिछले 20 वर्षों में अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए JDU ने बुधवार को प्रदेश कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपस्थित नेताओं से मुलाकात की और संगठन को मजबूत बनाने के लिए प्रेरित किया।
राजद का चुनाव आयोग पर सवाल
राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता सूची पर संदेह व्यक्त किया है। पार्टी के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया में अनियमितताएँ हैं। एक सितंबर 2025 तक नए नाम जोड़ने के लिए 16 लाख 56 हजार 886 मतदाताओं ने आवेदन दिया, लेकिन अंतिम सूची में 21 लाख 53 हजार नाम जुड़े हैं, जो संदिग्ध है।
अडानी को दी गई जमीन पर माले का आरोप
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भागलपुर के पीरपैंती में अडानी को दी गई जमीन एक घोटाला है। पार्टी की एक टीम 2 अक्टूबर को इस स्थान का दौरा करेगी। इस परियोजना के कारण पर्यावरण और किसानों की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
कांग्रेस का चुनाव आयोग पर आरोप
कांग्रेस के प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज हैं, जो पिछले आंकड़ों से कम है। चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कितने विदेशी नागरिकों को सूची से हटाया गया है। विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया संदिग्ध है और भविष्य में इसकी जांच होनी चाहिए।