बिहार चुनाव में स्टार प्रचारकों की संख्या: 20 या 40 से अधिक क्यों नहीं?
स्टार प्रचारकों की सूची का महत्व
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 40 स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी की है।
राजनीतिक दल बिहार में चुनाव के लिए अपने-अपने स्टार प्रचारकों की सूचियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। कुछ दल 20 नामों की सूची बनाते हैं, जबकि अन्य 40 नामों तक पहुँचते हैं। चुनाव के दौरान, राजनीतिक दलों को स्टार प्रचारकों की सूची निर्वाचन आयोग को सौंपनी होती है। राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों को 40 और राज्य स्तर की पार्टियों को 20 नाम देने की अनुमति होती है।
इससे यह सवाल उठता है कि 20 या 40 से अधिक नाम क्यों नहीं होते? क्या यह कोई परंपरा है या इसके पीछे कोई कानूनी नियम है? आइए जानते हैं।
स्टार प्रचारकों की संख्या की सीमा का कारण
स्टार प्रचारकों की संख्या की सीमा क्यों है?
स्टार प्रचारक वे प्रमुख नेता होते हैं, जिन्हें पार्टी अपने चुनावी अभियान का आधिकारिक प्रचारक घोषित करती है। ये आमतौर पर ऐसे नेता होते हैं जिनका जन-आकर्षण अधिक होता है। रैलियों और जनसभाओं का आयोजन अक्सर इन्हीं के नेतृत्व में होता है। जब स्टार प्रचारकों का नाम निर्वाचन आयोग में दर्ज होता है, तो उनके चुनाव खर्च का लेखा-जोखा एक विशेष व्यवस्था के तहत होता है।
स्टार प्रचारकों की संख्या पर यह सीमा कानूनी रूप से निर्धारित है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और चुनाव खर्च नियमों के अनुसार, राजनीतिक दलों को सीमित संख्या में स्टार प्रचारक नामित करने की अनुमति है। राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टी अधिकतम 20 और राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त पार्टी 40 स्टार प्रचारकों के नाम दे सकती है। यह कोई अनौपचारिक परंपरा नहीं है, बल्कि नियमों द्वारा निर्धारित व्यवस्था है।
स्टार प्रचारकों की संख्या की सीमा के लाभ
स्टार प्रचारकों की संख्या की सीमा के लाभ
- चुनाव खर्च की पारदर्शिता: जब कोई स्टार प्रचारक आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध होता है, तो उसके द्वारा किए गए प्रचार का खर्च आमतौर पर पार्टी के केंद्रीय चुनाव खर्च में जोड़ा जाता है। इससे उम्मीदवारों पर खर्च की सीमा का बोझ नहीं बढ़ता और लेखा-जोखा पारदर्शी रहता है।
- दुरुपयोग पर नियंत्रण: यदि स्टार प्रचारकों की संख्या अनलिमिटेड हो, तो पार्टियां हजारों नाम जोड़कर उम्मीदवार की खर्च सीमा को बाईपास कर सकती हैं। सीमित संख्या सुनिश्चित करती है कि केवल वास्तविक प्रभावी प्रचारक ही इस प्रावधान का लाभ लें।
- प्रशासनिक सरलता: सीमित सूची से आयोग और पर्यवेक्षण एजेंसियों के लिए ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग आसान होती है।
भारत निर्वाचन आयोग के नियम
भारत निर्वाचन आयोग के नियम
- मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी को अधिकतम 40 स्टार प्रचारकों के नाम जमा करने की अनुमति है।
- मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी को अधिकतम 20 नाम देने की अनुमति है।
- नामांकन चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद तय समय सीमा में दिए जाते हैं।
- सूची सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा बनती है ताकि पर्यवेक्षक और खर्च निगरानी टीमें जान सकें कि कौन स्टार प्रचारक है।
- यदि कोई सूचीबद्ध स्टार प्रचारक किसी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करता है, तो उसके खर्च को पार्टी के केंद्रीय चुनाव खर्च में दर्ज किया जा सकता है।
गैर-मान्यता प्राप्त दलों के लिए नियम
गैर-मान्यता प्राप्त दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए नियम
गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए स्टार प्रचारक की अवधारणा औपचारिक रूप में लागू नहीं होती। ऐसे मामलों में आमतौर पर प्रचार का खर्च सीधे उम्मीदवार के खाते में जुड़ने का जोखिम अधिक रहता है।
पक्षों को अपनी स्टार प्रचारक सूची समय पर जमा करनी होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में आयोग सूची में संशोधन की अनुमति दे सकता है।
क्या 20/40 से अधिक नाम दिए जा सकते हैं?
क्या 20/40 से अधिक नाम दिए जा सकते हैं?
नियम के अनुसार नहीं। यही कारण है कि आप 20 या 40 से ज्यादा नेताओं के नाम सूची में नहीं देखते। यह कानूनी सीमा है। यदि कोई पार्टी इससे अधिक नाम घोषित कर भी दे, तो निर्वाचन आयोग की दृष्टि में केवल अनुमत संख्या ही मान्य होगी।
- उम्मीदवार की खर्च सीमा की रक्षा: हर विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवार के चुनाव खर्च की कड़ी निगरानी होती है।
- पार्टी स्तरीय जवाबदेही: शीर्ष रैलियों का खर्च पार्टी के खाते में दर्ज हो सकता है।
- अभियान रणनीति में फोकस: सीमित संख्या होने से पार्टियां सबसे प्रभावी चेहरों का चयन करती हैं।
मिथक बनाम सच
मिथक बनाम सच
- मिथक: 20/40 की संख्या बस एक परंपरा है।
- सच: यह संख्या नियम और दिशानिर्देशों में निहित है।
- मिथक: स्टार प्रचारक होने का मतलब है कि कोई भी खर्च उम्मीदवार के खाते में नहीं जाएगा।
- सच: यदि स्थानीय स्तर पर उम्मीदवार-केंद्रित प्रबंध स्पष्ट हों, तो उपयुक्त भाग उम्मीदवार के खाते में भी जुड़ सकता है।
- मिथक: किसी भी समय अनंत संख्या में नाम जोड़े जा सकते हैं।
- सच: सीमा सख्त है और समयसीमा के भीतर सूची देनी होती है।
निष्कर्ष
स्टार प्रचारकों की सूची में 20 या 40 से ज्यादा नाम नहीं होते क्योंकि यह भारत के चुनावी कानून और निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य चुनाव खर्च की पारदर्शिता बनाए रखना और प्रशासनिक निगरानी को संभव बनाना है।