बिहार चुनाव में लव-कुश समीकरण: तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर की टक्कर
बिहार में लव-कुश समीकरण का उभार
तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर
बिहार में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद लव-कुश समीकरण चर्चा का विषय बन गया है। यह समीकरण कुर्मी और कोइरी जातियों के वोट बैंक को संदर्भित करता है, जिसे आमतौर पर नीतीश कुमार का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है। हाल ही में JDU के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा के RJD में शामिल होने के बाद इस समीकरण पर नई बहस शुरू हुई है।
संतोष कुशवाहा ने कहा कि अब जेडीयू लव-कुश पार्टी नहीं रह गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जेडीयू के पास कुर्मी और कोइरी जातियों का समर्थन नहीं है। यह वोट बैंक नीतीश कुमार की सत्ता में बने रहने के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
लव-कुश समीकरण का चुनावी प्रभाव
लव-कुश समीकरण बिहार में 7 प्रतिशत से अधिक वोट शक्ति रखता है, जिसमें कुर्मी की हिस्सेदारी लगभग 3 प्रतिशत और कोइरी की 4 प्रतिशत है। ये दोनों जातियाँ 50 से 60 सीटों पर चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। पटना, मुंगेर, समस्तीपुर, खगड़िया, सारण, आरा और बक्सर जैसी सीटों पर इन समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। RJD अब कुर्मी नेताओं को अपने साथ लाकर इस समीकरण में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।
महागठबंधन की रणनीति
पिछले कुछ वर्षों में RJD की अगुवाई वाला महागठबंधन कुर्मी-कोइरी समीकरण को कमजोर करने के प्रयास में है। संतोष कुशवाहा का पार्टी बदलना केवल एक नेता का कदम नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के वोट बैंक को कमजोर करने की रणनीति है।
तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर का मुकाबला
राजनीतिक चर्चा में तेजस्वी यादव को प्रशांत किशोर के चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राघोपुर में उनका मुकाबला हो सकता है। तेजस्वी यादव वर्तमान में राघोपुर से विधायक हैं।
राघोपुर में लालू परिवार का इतिहास
हालांकि प्रशांत किशोर की चुनौती है, लेकिन राघोपुर में लालू परिवार को हराना आसान नहीं है। पिछले तीन दशकों में लालू परिवार ने यहां से 7 बार जीत हासिल की है।
सीट शेयरिंग विवाद का अपडेट
बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर विवाद जारी है। NDA के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी दिल्ली में हैं और सीटों को लेकर चर्चा कर रहे हैं। महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर तेजस्वी और लालू यादव के दिल्ली आने की संभावना है।