बिहार चुनाव में ओवैसी का बड़ा दांव: 32 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव
बिहार चुनाव की तैयारी
नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ओवैसी और राहुल गांधी.
बिहार में चुनावी माहौल तैयार हो चुका है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने राज्य की 243 सीटों पर सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा कर दिया है। वहीं, कांग्रेस, राजद और वाम दलों के महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा, चुनाव में एक थर्ड फ्रंट बनाने की भी योजना बनाई जा रही है।
एनडीए में जेडी(यू), बीजेपी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा शामिल हैं, जबकि विपक्षी महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, तीन वामपंथी दल और मुकेश सहनी की वीआईपी शामिल हैं।
एआईएमआईएम ने दोनों गठबंधनों के अलावा एक थर्ड विकल्प बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। पहले, एआईएमआईएम ने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को पत्र लिखकर छह सीटों की मांग की थी, लेकिन राजद की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
पिछले चुनाव में एआईएमआईएम की सफलता
एआईएमआईएम ने पिछले चुनाव में 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और बिहार के सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, इनमें से चार विधायक बाद में पार्टी छोड़ चुके हैं।
इस बार, एआईएमआईएम ने 16 जिलों की 32 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इससे महागठबंधन और अन्य प्रमुख गठबंधनों के लिए चुनावी प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है।
एआईएमआईएम का थर्ड फ्रंट
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने उन पर धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करने का आरोप लगाया था। इसके बाद, पार्टी ने थर्ड फ्रंट बनाने की योजना बनाई है।
पार्टी ने 2020 में मायावती की बसपा और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। अब, राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया है और कुछ पूर्व सहयोगी एनडीए में शामिल हो गए हैं।
मुस्लिम वोटबैंक पर ध्यान
वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क के अनुसार, बिहार में 11 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिमों की आबादी 40 फीसदी तक है। एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जिससे कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियों को नुकसान हो सकता है।
अख्तरुल ईमान ने राजद और जद(यू) पर मुसलमानों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मुस्लिमों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।