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बिहार चुनाव परिणामों के बाद महंगाई में आई कमी, आम जनता को मिली राहत

बिहार चुनाव परिणामों के साथ, थोक महंगाई में गिरावट की खबर आई है, जिससे आम जनता को राहत मिली है। अक्टूबर 2025 में थोक मूल्य सूचकांक में 1.21% की कमी दर्ज की गई है। खाद्य वस्तुओं, ईंधन और औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में कमी आई है, जिससे घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव कैसे बढ़ रहा है।
 

महंगाई में गिरावट का बड़ा संकेत

थोक महंगाई में गिरावट.

बिहार चुनाव के परिणामों के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। अक्टूबर 2025 में भारत के थोक बाजार में कीमतों में उल्लेखनीय कमी आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में 1.21% की गिरावट दर्ज की गई है। यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक स्तर पर कीमतें घट रही हैं।

ये आंकड़े आम जनता के लिए राहत देने वाले हैं। खाद्य सामग्री, ईंधन और विभिन्न औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में कमी आई है। सरल शब्दों में कहें तो बाजार में वस्तुएं पहले की तुलना में सस्ती हो गई हैं, जिसका प्रभाव आने वाले महीनों में खुदरा कीमतों पर भी देखने को मिल सकता है।


खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी

खाद्य पदार्थों की कीमतों में बड़ी गिरावट

अक्टूबर में थोक बाजार में खाद्य श्रेणी में सबसे अधिक राहत मिली। सब्जियों, दालों, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं में तेज गिरावट आई, जिससे कुल खाद्य मुद्रास्फीति 8.31% पर आ गई। यह सितंबर की तुलना में और अधिक गिरावट है। सब्जियों की कीमतों में लगभग 35% की कमी आई है। दालों में 16.50%, आलू में 39.88%, और प्याज में 65% से अधिक की गिरावट देखी गई। ये वही वस्तुएं हैं जिनकी कीमतें कुछ महीने पहले लगातार बढ़ रही थीं, लेकिन अब ये घरेलू बजट को राहत दे रही हैं.


ईंधन और बिजली की कीमतों में कमी

ईंधन और बिजली भी हुए सस्ते

अक्टूबर में ईंधन, गैस और बिजली जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी कम हुई हैं। इस श्रेणी में मुद्रास्फीति 2.55% रही, यानी थोक बाजार में पेट्रोलियम उत्पाद पहले से सस्ते हुए हैं। हालांकि खुदरा बाजार में इसका पूरा प्रभाव आने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन ट्रांसपोर्ट और उद्योगों के लिए यह राहत की खबर है।


जीएसटी दरों में कटौती का प्रभाव

जीएसटी दरों में कटौती का भी बड़ा असर

22 सितंबर से कई रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी स्लैब को कम किया गया था। उच्च कर वाली वस्तुओं को 5% और 18% वाले स्लैब में लाया गया। इस कदम के बाद बाजार में कीमतें गिरने लगीं और इसका प्रभाव थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर देखा जा रहा है। यही कारण है कि खुदरा मुद्रास्फीति भी ऐतिहासिक न्यूनतम 0.25% पर पहुंच गई है।


आरबीआई पर ब्याज दरें घटाने का दबाव

RBI पर बढ़ा ब्याज दरें घटाने का दबाव

थोक (WPI) और खुदरा (CPI) दोनों तरह की मुद्रास्फीति में गिरावट के बाद, अब बाजार की उम्मीदें रिजर्व बैंक पर टिक गई हैं। 35 दिसंबर को होने वाली मौद्रिक नीति बैठक में RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, क्योंकि महंगाई कम होने पर सस्ते लोन देने की गुंजाइश बढ़ जाती है। यदि ऐसा होता है, तो होम लोन, कार लोन और बिज़नेस लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है.