बिहार चुनाव परिणाम: सीमांचल में महागठबंधन की हार और मुस्लिम वोटर्स का मोहभंग
बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। मुस्लिम वोटर्स का मोहभंग स्पष्ट हो गया है, खासकर सीमांचल में, जहां महागठबंधन को केवल 5 सीटें मिलीं। एनडीए ने भी सीमांचल में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि ओवैसी की AIMIM ने 5 सीटों पर जीत हासिल की। इस चुनाव ने दिखाया है कि आरजेडी और कांग्रेस के लिए मुस्लिम वोटर्स का समर्थन लगातार कम हो रहा है। जानें इस चुनाव के परिणामों के पीछे के कारण और महागठबंधन की स्थिति।
Nov 15, 2025, 14:10 IST
सीमांचल में महागठबंधन का प्रदर्शन
सीमांचल में महागठबंधन का कैसा रहा प्रदर्शन
महागठबंधन ने बिहार में सत्ता में वापसी की उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन चुनाव परिणाम ने उनकी उम्मीदों को चूर-चूर कर दिया। महागठबंधन के प्रमुख दलों, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस, का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। राज्य में यादव और मुस्लिम वोटर्स (M-Y) महागठबंधन का मुख्य आधार रहे हैं, लेकिन इस बार के परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह समीकरण अब कमजोर हो चुका है। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी महागठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा, और कई जगहों पर तो खाता भी नहीं खुला।
पिछले चुनाव (2020) में आरजेडी ने 243 सीटों में से 75 पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उसे 50 सीटों का नुकसान हुआ और केवल 25 सीटें ही मिल सकीं। कांग्रेस भी 19 में से सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई। अन्य सहयोगी दलों को भी नुकसान उठाना पड़ा है।
सीमांचल में महागठबंधन की स्थिति
सीमांचल के चुनाव परिणाम पर सभी की नजरें रहती हैं। एनडीए का प्रदर्शन यहां भी कमजोर रहा। 2020 में सीमांचल के चार जिलों (पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज) की 24 सीटों में एनडीए को 12 सीटें मिली थीं, लेकिन किशनगंज में उसका खाता नहीं खुला था। इस बार एनडीए ने 24 में से 14 सीटें जीत लीं, जबकि महागठबंधन केवल 5 सीटों पर सिमट गया। 2015 में महागठबंधन ने 18 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए को केवल 5 सीटें मिली थीं।
ओवैसी की AIMIM का प्रभाव
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने इस बार भी अच्छा प्रदर्शन किया और 5 सीटों पर जीत हासिल की, सभी सीमांचल में। AIMIM ने जोकीहाट, बहादुरगंज, अमौर, बैसी और कोचाधामन सीटों पर विजय प्राप्त की।
महागठबंधन की दुर्दशा
महागठबंधन के लिए यह चुनाव एक बुरा सपना साबित हुआ। एनडीए ने 2020 में 8 जिलों में खाता नहीं खोला था, जबकि इस बार महागठबंधन 16 जिलों में खाता नहीं खोल सका। भोजपुर, नालंदा, भागलपुर और दरभंगा जैसे जिलों में भी महागठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली।
चुनाव परिणाम यह दर्शाते हैं कि आरजेडी और कांग्रेस से मुस्लिम वोटर्स का मोहभंग हो रहा है। 2015 में महागठबंधन ने 24 में से 18 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार केवल 5 सीटों पर ही सिमट गया।
पूर्णिया में महागठबंधन का प्रदर्शन
2025 के चुनाव में सीमांचल के पूर्णिया जिले में महागठबंधन को 7 में से एक भी सीट नहीं मिली। अररिया में उसने 3 सीटें जीतीं, लेकिन कटिहार और किशनगंज में केवल 1-1 सीट पर ही जीत हासिल की। कुल मिलाकर महागठबंधन के खाते में 5 सीटें आईं।
किशनगंज में एनडीए ने 10 साल बाद खाता खोला और 4 में से 1 सीट जीती, जबकि अररिया, पूर्णिया और कटिहार में भी एनडीए ने अच्छा प्रदर्शन किया।