बिहार चुनाव 2025: राजनीतिक समीकरण और विपक्ष की चुनौती
बिहार चुनाव 2025 एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ है, जहां भाजपा और विपक्ष के बीच की जंग निर्णायक साबित हो सकती है। इस बार जातीय समीकरण और विकास का मुद्दा भी प्रमुखता से उभर रहा है। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने अपनी तैयारियों को मजबूत किया है, लेकिन भाजपा-जेडीयू गठबंधन की ताकत भी कम नहीं है। क्या विपक्ष अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगा? जानिए इस चुनाव की संभावनाएँ और चुनौतियाँ।
Oct 7, 2025, 11:42 IST
बिहार चुनाव की राजनीतिक पृष्ठभूमि
2024 के लोकसभा चुनावों ने भाजपा को सत्ता में बनाए रखा, लेकिन विपक्ष को भी एक नई ताकत दी। चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट किया कि विपक्ष अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। हालांकि, महज डेढ़ साल बाद, यह तस्वीर बदलने लगी है। हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने विपक्ष की उम्मीदों को झटका दिया, जबकि झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विपक्ष की जीत उतनी प्रभावशाली नहीं रही।
बिहार का चुनाव: एक महत्वपूर्ण मोड़
बिहार का चुनाव अब केवल एक राज्य का चुनाव नहीं रह गया है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण क्षण बन चुका है। यह वही बिहार है जहां लालू प्रसाद यादव की समाजवादी राजनीति ने दिल्ली तक का एजेंडा निर्धारित किया था। अब सवाल यह है कि क्या तेजस्वी यादव की आरजेडी दो दशकों बाद सत्ता में वापसी कर पाएगी, या भाजपा पहली बार राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी?
विपक्ष की चुनौती और तैयारी
बिहार चुनाव इस बार विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए अस्तित्व की परीक्षा बन गया है। 2024 में विपक्ष ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दिखाई थी। अब यह देखना है कि क्या वे उसी उत्साह और समन्वय को बनाए रख पाएंगे। भाजपा-जेडीयू गठबंधन ने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपनी ताकत का पूरा इस्तेमाल किया है, जिसमें महिलाओं के लिए योजनाएँ और मोदी की छवि शामिल हैं।
विपक्ष की रणनीतियाँ
विपक्ष ने भी अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी है। राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ के माध्यम से कांग्रेस, आरजेडी, भाकपा (माले) और वीआईपी जैसी पार्टियाँ एक मंच पर आईं। तेजस्वी यादव लगातार जनसभाएँ कर रहे हैं और नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या यह जोश वोटों में तब्दील हो पाएगा।
जातीय समीकरण और विकास का मुद्दा
बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों पर निर्भर रही है, लेकिन इस बार ‘विकास बनाम जाति’ का मुद्दा भी महत्वपूर्ण हो गया है। भाजपा ने अपनी योजनाओं के माध्यम से गरीबों को अवसर देने का दावा किया है, जबकि विपक्ष इसे चुनौती दे रहा है। तेजस्वी यादव बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाकर विकास के मॉडल पर सवाल उठा रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
2025 का बिहार चुनाव न केवल राज्य की राजनीति बल्कि विपक्ष की राष्ट्रीय प्रासंगिकता को भी निर्धारित करेगा। यदि INDIA गठबंधन अच्छा प्रदर्शन करता है, तो यह संकेत होगा कि विपक्ष अब भी मुकाबले में है। लेकिन यदि भाजपा-जेडीयू का गठबंधन जीत जाता है, तो यह विपक्ष के लिए बड़ा झटका होगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, यह चुनाव एकतरफा नहीं होगा। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के नेतृत्व वाला गठबंधन भाजपा से मुकाबले के लिए तैयार है।