बिलावल भुट्टो का आतंकवादियों के प्रत्यर्पण का प्रस्ताव: क्या यह एक गंभीर कदम है?
बिलावल भुट्टो का विवादास्पद प्रस्ताव
पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर के प्रत्यर्पण का प्रस्ताव पाकिस्तान में नई बहस को जन्म दे रहा है। कतर स्थित एक समाचार चैनल के साथ शुक्रवार (4 जुलाई) को एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत को इन आतंकवादी नेताओं को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं रखता, बशर्ते नई दिल्ली सहयोग करने की 'इच्छा' दिखाए। भुट्टो के इस बयान पर हाफिज सईद के बेटे तल्हा ने तीखी प्रतिक्रिया दी, उन्हें 'गैर-जिम्मेदार प्रस्ताव' देने का आरोप लगाया। क्या यह आतंकवादियों का प्रत्यर्पण एक वास्तविक प्रस्ताव है, या यह केवल भारत को वार्ता की मेज पर लाने के लिए एक कूटनीतिक इशारा है?
बिलावल के बयानों का महत्व
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N), जो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार का हिस्सा है, कई सहयोगी दलों के साथ मिलकर काम कर रही है। वहीं, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP), जिसका नेतृत्व बिलावल भुट्टो जर्दारी कर रहे हैं, इस गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। बिलावल का आतंकवादियों के प्रत्यर्पण पर बयान आलोचना और व्यंग्य का विषय बन गया है। कई लोग उन्हें 'अपरिपक्व राजनीतिक बच्चा' मानते हैं, जो व्यावहारिक राजनीतिक अनुभव से वंचित हैं।
इंडस जल संधि
बिलावल का प्रस्ताव भुट्टो के पहले के बयानों के विपरीत है। जब भारत ने इंडस जल संधि (IWT) को निलंबित किया, तो भुट्टो ने सार्वजनिक रूप से तीखे और उत्तेजक बयान दिए। उन्होंने कहा, 'मैं भारत को बताना चाहता हूं कि यह इंडस हमारा है और हमेशा रहेगा। या तो इस इंडस में पानी बहेगा, या उनका खून।' हालांकि यह बयान तीखा था, भारत ने उनके 'खून बहेगा' बयान को नजरअंदाज कर दिया। आतंकवादियों के प्रत्यर्पण पर वर्तमान टिप्पणी एक कूटनीतिक रणनीति हो सकती है, जिसका उद्देश्य भारत को वार्ता की मेज पर लाना है। हर बार जब पाकिस्तान शांति का इशारा करता है, तो उसके बाद एक विश्वासघात होता है।
हाफिज सईद और मसूद अजहर का स्थान
जब हाफिज सईद और मसूद अजहर के ठिकाने के बारे में पूछा गया, तो भुट्टो ने कहा कि हाफिज सईद एक पाकिस्तानी जेल में हैं और मसूद अजहर अफगानिस्तान में हैं। हाफिज तल्हा सईद ने रविवार को लाहौर में एक बयान जारी कर बिलावल के प्रत्यर्पण के बयानों को पाकिस्तान की राज्य नीति, राष्ट्रीय हित और संप्रभुता के खिलाफ बताया।