बाबा रामदेव का 60वां जन्मदिन: योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनकी यात्रा
बाबा रामदेव, जो आज 60 वर्ष के हो गए हैं, ने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहचान बनाई है। हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मे, उन्होंने कम उम्र में संन्यास लिया और पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की। उनके योग कार्यक्रमों ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। विवादों के बावजूद, वे आज भी समाज सुधारक और योग गुरु के रूप में जाने जाते हैं। उनके जीवन की यात्रा और योगदान के बारे में जानें।
Dec 25, 2025, 12:44 IST
बाबा रामदेव का जन्मदिन
आज, 25 दिसंबर को, योग गुरु बाबा रामदेव अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने सीमित संसाधनों और साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर योग और आयुर्वेद के माध्यम से एक विशेष पहचान बनाई है। युवा अवस्था में ही उन्होंने संन्यास लेने का निर्णय लिया और योग को अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बना लिया। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...
जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि
बाबा रामदेव का जन्म 25 दिसंबर 1965 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। उनका बचपन का नाम रामकृष्ण यादव था। उन्होंने कम उम्र में ही संन्यास का मार्ग अपनाया और हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ को अपनी साधना का केंद्र बनाया। 2000 के बाद, उन्होंने दूरदर्शन पर योग कार्यक्रमों के माध्यम से योग को घर-घर पहुंचाया। उनके योगासनों और प्राणायामों को करोड़ों लोगों ने अपनाया, जिससे योग एक जन आंदोलन बन गया।
स्वदेशी और आयुर्वेद का प्रचार
योग के साथ-साथ, बाबा रामदेव ने स्वदेशी और आयुर्वेद को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की, जो आज देश की सबसे बड़ी आयुर्वेदिक और FMCG कंपनियों में से एक मानी जाती है। पतंजलि ने न केवल आयुर्वेदिक दवाओं को लोकप्रिय बनाया, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से विदेशी कंपनियों को भी चुनौती दी।
विवाद और समर्थन
बाबा रामदेव का सफर विवादों से रहित नहीं रहा है। उनकी आंदोलनकारी भूमिका, राजनीतिक बयानों और कुछ उत्पादों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। फिर भी, उनके समर्थकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। आज भी, उन्हें करोड़ों लोग समाज सुधारक, योग गुरु और स्वदेशी आंदोलन के प्रतीक के रूप में मानते हैं।
उनके समर्थकों का मानना है कि बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके लिए यह केवल उम्र का एक पड़ाव नहीं है, बल्कि एक विचारधारा की यात्रा है, जिसने स्वास्थ्य, योग और स्वदेशी को करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बना दिया है।