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बागेश्वर बाबा की पदयात्रा: मेवाड़ के राजा का शामिल होना और यात्रा का उद्देश्य

बागेश्वर बाबा की पदयात्रा, जो 7 नवंबर से शुरू हुई थी, 16 नवंबर तक चलेगी। इस यात्रा का उद्देश्य सनातनियों में एकता स्थापित करना है। चौथे दिन मेवाड़ के राजा लक्ष्यराज सिंह ने यात्रा में भाग लिया और बाबा बागेश्वर से आशीर्वाद लिया। यात्रा का समापन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी के दर्शन के साथ होगा। जानें यात्रा के संकल्प और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
 

बागेश्वर बाबा की पदयात्रा

बागेश्वर बाबा पदयात्रा

धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा: बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री द्वारा आरंभ की गई सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 7 नवंबर से शुरू होकर 16 नवंबर तक चलेगी। यह यात्रा दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश होते हुए वृंदावन में समाप्त होगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सभी सनातनियों के बीच एकता को बढ़ावा देना है। 9 नवंबर को यह यात्रा हरियाणा पहुंची, जहां कई राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया। आज, 10 नवंबर को, यह यात्रा पृथला के बाघोंला अडानी पेट्रोल पंप से शुरू होकर पलवल के सरकारी हाई स्कूल तक पहुंचेगी.

राजा लक्ष्यराज सिंह का शामिल होना

10 नवंबर को, इस यात्रा के चौथे दिन, मेवाड़ के राजा लक्ष्यराज सिंह जी ने भी भाग लिया और बाबा बागेश्वर से आशीर्वाद लिया। यह पदयात्रा 13 नवंबर को यूपी-हरियाणा सीमा से होते हुए उत्तर प्रदेश के कोसीकलां (मथुरा) में प्रवेश करेगी। प्रशासन के अनुसार, मथुरा में लगभग एक लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जिसके लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

यात्रा का समापन बांके बिहारी मंदिर पर

यह यात्रा 10 दिनों तक चलेगी और इसका समापन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी के दर्शन के साथ होगा। चौथे दिन, 10 नवंबर को, दोपहर के भोजन के लिए यात्रा पृथला (बाघोंला अडानी पेट्रोल पंप के पास) रुकेगी। इसके बाद, यात्रा बाघोंला अडानी पेट्रोल पंप से शुरू होगी और रात्रि विश्राम के लिए पलवल के सरकारी माध्यमिक स्कूल पर रुकेगी.

यात्रा के संकल्प

  • समाज में समरसता को बढ़ावा देना।
  • भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना।
  • मां यमुना को स्वच्छ करना।
  • ब्रजधाम क्षेत्र को मांस और मदिरा से मुक्त करना।
  • गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा और गौ अभयारण्य की स्थापना।
  • प्राचीन वृंदावन को पुनर्स्थापित करना।
  • श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण।