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बागेश्वर धाम पदयात्रा: फरीदाबाद में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा आज फरीदाबाद पहुंचेगी। यह यात्रा 7 नवंबर से शुरू होकर 16 नवंबर तक चलेगी। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। जानें इस यात्रा के पड़ाव और इसके पीछे के उद्देश्य के बारे में।
 

बागेश्वर धाम की पदयात्रा का विवरण

सनातन पदयात्रा

Bageshwar Dham Padyatra: बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी सनातन हिंदू एकता की पदयात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा 7 नवंबर से आरंभ हुई और इसका समापन 16 नवंबर को होगा। यात्रा की शुरुआत दिल्ली के छतरपुर मंदिर से हुई। 8 नवंबर को इस यात्रा का दूसरा दिन है, और बागेश्वर धाम की पदयात्रा 8 और 9 नवंबर को फरीदाबाद में प्रवेश करेगी। इस अवसर पर फरीदाबाद पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं.

सूत्रों के अनुसार, बागेश्वर बाबा की पदयात्रा 8 नवंबर को मांगर चुंगी से फरीदाबाद में प्रवेश करेगी और दशहरा ग्राउंड एनआईटी में रात्रि विश्राम करेगी। यहां भक्तों के लिए रात्रि विश्राम और भोजन की व्यवस्था की गई है, और इस यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है.

बागेश्वर धाम पदयात्रा के पड़ाव

  1. 7 नवंबर: दिल्ली के छतरपुर मंदिर से जीरखोद मंदिर
  2. 8 नवंबर: फरीदाबाद के बायोटेक कॉलेज से दशहरा मैदान NIT
  3. 9 नवंबर: बल्लभगढ़ मंडी से सीकरी के डॉ. एच.एन. अग्रवाल धर्मशाला + ध्रुव गार्डन
  4. 10 नवंबर: पृथला के बाघोंला अडानी पेट्रोल पंप से पलवल के गवर्नमेंट हाई स्कूल
  5. 11 नवंबर: पलवल के शुगर मिल से मीठा गांव (प्रधान जी की भूमि)
  6. 12 नवंबर: होडल मंडी से वनचारी (JBM)
  7. 13 नवंबर: कोट-1 बॉर्डर (सेल्स टैक्स) से कोसी मंडी
  8. 14 नवंबर: वेकमेट इंडिया कंपनी के सामने से गुप्ता टेंट एंड छाता बिलौठी
  9. 15 नवंबर: यादव हरियाणा ढाबा से जैत के राधा गोविंद जी मंदिर
  10. 16 नवंबर: छठीकरा के चार धाम से वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर.

पदयात्रा का उद्देश्य

बागेश्वर सरकार ने अपनी पदयात्रा के दौरान 7 संकल्पों की घोषणा की है। इनमें समाज में एकता स्थापित करना, भारत को एक गौरवशाली हिंदू राष्ट्र बनाना, माता यमुना को स्वच्छ और सुंदर बनाना, ब्रज धाम को मांस और मदिरा से मुक्त करना, गौ माता को राष्ट्र माता का सम्मान देना, गौ अभयारण्य की स्थापना करना, प्राचीन वृंदावन को पुनर्स्थापित करना और श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शामिल हैं.