बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 10 दिवसीय पदयात्रा का आगाज
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 7 नवंबर को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 10 दिवसीय पदयात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा हिंदू एकता को बढ़ावा देने, जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने और राष्ट्रवाद का संदेश फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। शास्त्री जी ने कहा कि यह यात्रा हमारे जीवन की दूसरी पदयात्रा है और इसमें लगभग 40,000 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है। यात्रा के दौरान राष्ट्रगान और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। शास्त्री ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है, जो हिंदुत्व में रुचि रखते हैं।
Nov 7, 2025, 12:11 IST
पदयात्रा का उद्देश्य और महत्व
बागेश्वर धाम के प्रमुख आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 7 नवंबर, शुक्रवार को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 10 दिवसीय पदयात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा 145 किलोमीटर लंबी है और इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू एकता को बढ़ावा देना, जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करना और शांति, राष्ट्रवाद तथा सनातन मूल्यों का संदेश फैलाना है। यह यात्रा 16 नवंबर तक जारी रहेगी। पदयात्रा के आरंभ पर शास्त्री जी ने कहा कि यह हमारे जीवन की दूसरी पदयात्रा है। हम हिंदुओं में जागरूकता लाना चाहते हैं। जातिवाद और भेदभाव का अंत होना चाहिए। हम इस देश में जातिवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की आवश्यकता महसूस करते हैं। हमारे हिंदू बच्चे सुरक्षित रहें और देश का इस्लामीकरण न हो, यही हमारी प्राथमिकता है।
पदयात्रा में भागीदारी और गतिविधियाँ
उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा सभी के लिए है। यदि जाति-आधारित विवाद समाप्त हो जाएँ, तो हिंदू एकजुट हो सकते हैं। इस यात्रा में लगभग 40,000 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है। प्रत्येक दिन की शुरुआत राष्ट्रगान और हनुमान चालीसा से होगी, इसके बाद हिंदू एकता को बढ़ावा देने और जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए सात प्रतिज्ञाएँ ली जाएँगी।
आचार्य शास्त्री का संदेश
आचार्य शास्त्री ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंदुओं के समर्थन में है। वे हर गाँव और गली में जाकर सभी हिंदुओं के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य हिंदू एकता और सनातन एकता है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है, जो हिंदुत्व और उसकी विचारधारा में रुचि रखते हैं। यात्रा के प्रतीकात्मक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए शास्त्री ने कहा कि हिंदुत्व, सनातन और तिरंगे से प्रेम करने वाले लोग इस पदयात्रा में शामिल हो रहे हैं। कुछ लोग तिरंगे में चाँद देखना चाहते हैं, जबकि हम चाँद पर तिरंगा देखना चाहते हैं।