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बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई, BSF जवान पर हमला

भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान एक BSF जवान पर हमला हुआ। बांग्लादेशी नागरिकों ने जवान को जबरन खींचकर बांग्लादेश ले जाने का प्रयास किया। इस घटना के बाद BSF ने कड़े कदम उठाने की बात कही है। वहीं, विदेशी मीडिया ने इस मुद्दे पर विवाद उठाया है, जिसमें बांग्लादेशी नागरिकों के साथ कथित दुर्व्यवहार की बातें की जा रही हैं। जानें इस घटना की पूरी जानकारी और भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति के बारे में।
 

बांग्लादेशी नागरिकों का बढ़ता हौसला

भारत में घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों का हौसला इतना बढ़ गया है कि वे अब पलटवार करने से भी नहीं चूक रहे हैं। वर्तमान में, बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने का अभियान तेजी से चल रहा है। इसी दौरान, पश्चिम बंगाल के मालदा-मुर्शिदाबाद सीमा क्षेत्र में स्थित सुत्ती थाना अंतर्गत चांदनी चौक सीमा चौकी के निकट, बांग्लादेशी नागरिकों ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक जवान पर हमला कर दिया और उसे जबरन बांग्लादेश ले गए। 71वीं बटालियन के जवान श्री गणेश को लगभग चार घंटे बाद BSF और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के बीच हुई फ्लैग मीटिंग के बाद वापस लाया गया। प्रारंभ में यह बताया गया था कि जवान संदिग्ध घुसपैठियों का पीछा करते हुए अनजाने में बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर गए थे। लेकिन बीएसएफ की आंतरिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जवान भारतीय सीमा में ही थे जब उन्हें जबरन सीमा पार खींचा गया। बीएसएफ के सूत्रों के अनुसार, जवान को बांग्लादेश के चांपाई नवाबगंज जिले के सत्राशिया गांव में स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया और बंधक बना लिया।


घटना का वीडियो और बीएसएफ की प्रतिक्रिया

इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जवान को एक केले के पेड़ से बांधकर लोगों द्वारा गाली-गलौज करते हुए देखा जा सकता है। कुछ लोगों ने कथित तौर पर उनके साथ मारपीट भी की, लेकिन कुछ स्थानीय लोगों ने बीच-बचाव कर आगे की हिंसा को रोकते हुए जवान को BGB के हवाले कर दिया। हालांकि, बीएसएफ अधिकारियों ने जवान के साथ मारपीट की पुष्टि नहीं की है। एक बीएसएफ अधिकारी ने कहा, “जवान ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उन बांग्लादेशी नागरिकों को सामान्य ग्रामीण समझकर उन्हें अपने पास आने दिया। लेकिन वे अपराधी निकले और उन्होंने मिलकर जवान को दबोच लिया और सीमा पार ले गए। हम भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएंगे।” बीएसएफ अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि जवान को कोई चोट नहीं आई है।


विदेशी मीडिया की प्रतिक्रिया

इस बीच, बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत से निकाले जाने के मुद्दे पर विदेशी मीडिया ने रोना-धोना मचाना शुरू कर दिया है। बीबीसी ने ऐसी खबरें प्रसारित की हैं जिसमें बांग्लादेशी नागरिकों पर जुल्मों की बात कही जा रही है। एक महिला शोना बानो का हवाला देते हुए बीबीसी ने लिखा है कि कथित रूप से असम के बारपेटा ज़िले की रहने वाली शोना कहती हैं कि 25 मई को उन्हें स्थानीय पुलिस थाने बुलाया गया और फिर बिना कोई कारण बताए, उन्हें बांग्लादेश की सीमा तक ले जाया गया। वहां, उनके मुताबिक, उन्हें लगभग 13 अन्य लोगों के साथ जबरन सीमा पार करवा दी गई। शोना बानो कहती हैं कि वह हमेशा से भारत में रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उन्हें खुद को "अवैध बांग्लादेशी" नहीं बल्कि एक भारतीय नागरिक साबित करने की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, "उन्होंने मुझे बंदूक की नोक पर धक्का देकर बांग्लादेश की ओर भेज दिया। मैं दो दिन बिना खाना-पानी के, एक खेत में घुटनों तक पानी में मच्छरों और जोंकों के बीच पड़ी रही।" उन्होंने कहा कि दो दिन नो-मैन्स लैंड में रहने के बाद उन्हें बांग्लादेश की ओर एक पुरानी-सी दिखने वाली जेल में ले जाया गया।


भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति

भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किमी लंबी खुली सीमा है, जो सुरक्षा के बावजूद कई स्थानों पर पार करना आसान बनाती है। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी अधिकारियों ने कहा कि मई महीने में भारत ने 1,200 से अधिक लोगों को "अवैध रूप से" बांग्लादेश में धकेला। इनमें से 100 को बांग्लादेश ने भारतीय नागरिक मानते हुए वापस भेज दिया। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सीमा पर गश्त बढ़ा दी है ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। भारत ने इन आरोपों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।