बांग्लादेश में हिंसा भड़की, कट्टरपंथी नेता की हत्या के बाद स्थिति गंभीर
बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेता शरीफ़ उस्मान हादी की हत्या के बाद ढाका में हिंसा भड़की है। उनकी मौत के बाद सरकार ने शोक दिवस मनाने का ऐलान किया है। इस घटना का चुनावी माहौल पर भी असर पड़ा है, और भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी और सरकार की प्रतिक्रिया।
Dec 19, 2025, 23:14 IST
ढाका में हालात बिगड़े
गुरुवार रात ढाका में अचानक हालात बिगड़ गए, जिसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में हिंसा की घटनाएं सामने आईं। यह सब कट्टरपंथी संगठन इंक़िलाब मंच के नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत की खबर के बाद हुआ, जो तेजी से बांग्लादेश में फैल गई। हादी को 12 दिसंबर को ढाका में अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी थी, और इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां गुरुवार को उनकी मृत्यु हो गई।
सरकार ने शोक दिवस का ऐलान किया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने हादी के निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि 19 दिसंबर को सभी धार्मिक स्थलों पर विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा, शनिवार को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने और सरकारी तथा निजी इमारतों पर झंडा आधा झुकाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
चुनाव से पहले का तनाव
यह हमला उस समय हुआ जब बांग्लादेश में आम चुनाव नजदीक हैं। चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की थी कि 13वां संसदीय चुनाव 12 फरवरी 2026 को होगा। पुलिस के अनुसार, हादी ढाका के बिजयनगर क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव प्रचार कर रहे थे, तभी बाइक सवार तीन हमलावरों ने उन पर गोलियां चलाईं और भाग गए।
हादी की गंभीर स्थिति
पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि हादी को गंभीर हालत में ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया। बाद में, उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया, लेकिन 32 वर्षीय हादी को बचाया नहीं जा सका।
जनआंदोलन का प्रमुख चेहरा
हादी जुलाई-अगस्त 2024 में हुए जनआंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई की राह बनाई थी। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वह झालोकाठी जिले के नालछिटी उपजिला से थे और भारत के मुखर आलोचक माने जाते थे। उनके संगठन इंक़िलाब मंच ने पिछले एक साल में अवामी लीग को भंग करने और उसके नेताओं की गिरफ्तारी की मांग को लेकर व्यापक अभियान चलाया था।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
इस घटनाक्रम का भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी प्रभाव पड़ा है। 14 दिसंबर को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत के उच्चायुक्त को तलब कर चिंता व्यक्त की थी और आशंका जताई थी कि हमलावर भारत भाग सकते हैं। इसके जवाब में, भारत ने भी ढाका स्थित अपने मिशन की सुरक्षा को लेकर बांग्लादेशी उच्चायुक्त को तलब किया।
प्रदर्शनों में भारत विरोधी नारे
गुरुवार रात हुए प्रदर्शनों में कई स्थानों पर भारत विरोधी नारे भी सुनाई दिए। कुछ संगठनों ने आरोप लगाया कि हादी के हत्यारे भारत भाग चुके हैं और भारतीय उच्चायोग को बंद करने की मांग की गई। हालांकि, प्रोफेसर यूनुस ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।
दोषियों को सजा देने का आश्वासन
यूनुस ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने इस हमले को चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश बताया और कहा कि ऐसी कोशिशें नाकाम होंगी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया आगे बढ़ती रहेगी।