बांग्लादेश में बढ़ते आंदोलन और शेख हसीना का संकट
बांग्लादेश में आंदोलन की लहर
बांग्लादेश एक बार फिर से आंदोलन की ओर अग्रसर होता दिखाई दे रहा है, जिसके पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट का शेख हसीना पर आने वाला फैसला और दूसरा, मोहम्मद यूनुस के कट्टरपंथी निर्णय। इस स्थिति ने यह सवाल उठाया है कि क्या बांग्लादेश में जेन-जेड एक बार फिर से तख्तापलट की योजना बना रहा है। यूनुस सरकार ने इस्लामिक समूहों के दबाव में आकर स्कूलों से संगीत और शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों के पद समाप्त कर दिए हैं। इसके बाद ढाका में यूनुस के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। छात्रों का कहना है कि यह बांग्लादेश की सांस्कृतिक पहचान पर हमला है, जिसके चलते लोग हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन और अशांति का माहौल
ढाका के विभिन्न क्षेत्रों में बम विस्फोट और झड़पों की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। कट्टरपंथी समूहों के दबाव में आने के कारण मोहम्मद यूनुस की नीतियों पर सवाल उठ रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस पर लोकतंत्र को कुचलने और कट्टरपंथियों के प्रभाव में आने का आरोप लगाया है। हसीना का कहना है कि मौजूदा प्रशासन सांप्रदायिक शक्तियों के प्रभाव में है।
छात्रों का आंदोलन और बम धमाकों का असर
छात्रों ने हसीना की सत्तावादी नीतियों के खिलाफ देशभर में आंदोलन शुरू किया था, जिसके बाद यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार बनाने का रास्ता साफ हुआ। पहले इस कदम का स्वागत किया गया था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। जैसे-जैसे विरोध बढ़ रहा है, युवा वर्ग जो पहले हसीना के खिलाफ था, अब यूनुस की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में सोमवार को सजा सुनाई जाने वाली है। फैसले से पहले ढाका में तनाव बढ़ गया है। रविवार को कई स्थानों पर देसी बम विस्फोट की घटनाएं हुईं, हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इन धमाकों ने पहले से अस्थिर माहौल को और भी चिंताजनक बना दिया है। हसीना पर 2024 में छात्र प्रदर्शनों पर कठोर कार्रवाई का आदेश देने का आरोप है।